वाशिंगटनः प्राणी जगत की मूक व्याख्याकार और चिंपांजियों के आंतरिक जगत की खोजकर्ता जेन गुडॉल का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके शोध ने न केवल प्राणी विज्ञान को एक नई दिशा दी, बल्कि महिलाओं के लिए भी विज्ञान के क्षेत्र में साहस के साथ रास्ता खोला। चिंपांजियों की भावनाओं, संबंधों और व्यक्तित्व की सूक्ष्मता को उजागर करके उन्होंने हमें सिखाया कि मानवता केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है। उनके काम ने हमें नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया है कि कहां मनुष्य समाप्त होता है और कहां से प्राणी जगत शुरू होता है।
जेन गुडॉल इंस्टीट्यूट ने पुष्टि की है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में व्याख्यान यात्रा के दौरान कैलिफोर्निया में स्वाभाविक कारणों से उनकी मृत्यु हुई है। इंस्टीट्यूट ने एक बयान में कहा, 'एक इथोलॉजिस्ट के रूप में डॉ. गुडॉल की खोजों ने विज्ञान को क्रांतिकारी रूप से बदल दिया और उन्होंने प्रकृति की रक्षा और पुनर्स्थापना के लिए अथक रूप से काम किया।'
जेन गुडॉल के जीवन और काम पर 40 फिल्मेंः जेन गुडॉल इंस्टीट्यूट और रूट्स एंड शूट्स प्रोग्राम की संस्थापक के रूप में उन्हें संयुक्त राष्ट्र की शांति दूत चुना गया था और उनके जीवन और काम पर 40 से अधिक फिल्में बनाई गई हैं।
1960 का दशकः1965- मिस गुडॉल एंड द वाइल्ड चिंपांजी (नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी)।
1970 का दशकः 1973- जेन गुडॉल एंड द वर्ल्ड ऑफ एनिमल बिहेवियर: द वाइल्ड डॉग्स ऑफ अफ्रीका, 1975- मिस गुडॉल: द हायना स्टोरी. 1976- लायंस ऑफ द सेरेंगेटी (BBC2)।
1980 का दशकः 1984 - अमंग द वाइल्ड चिंपांजी, 1988 - पीपल ऑफ द फॉरेस्ट।
1990 का दशकः 1990- चिंपांजी अलर्ट, द लाइफ एंड लीजेंड ऑफ जेन गुडॉल, द गोम्बे चिंपांजी, 1995- फिफीस वॉयेज, 1996 - चिंपांजी डायरी, 1997 - एनिमल माइंड्स।
2000 का दशकः 2000 - जेन गुडॉल: रीजन फॉर होप, 2001 - चिम्प्स आर अस (Chimps R Us), 2002 - जेन गुडॉल्स वाइल्ड चिंपांजी, 2005 - जेन गुडॉल्स रिटर्न टू गोम्बे, 2006 - चिम्प्स, सो लाइक अस (Chimps, So Like Us), 2007 - व्हेन एनिमल्स टॉक, वी शुड लिसन।
2010 का दशकः 2010 - जेन्स जर्नी, 2012 – चिंपांजी, 2017 - जेन (ब्रेट मॉर्गन द्वारा निर्देशित, फिलिप ग्लास का संगीत), 2018 - जायद्स अंटार्कटिक लाइट्स, 2019 - एक्सप्लोरिंग हैन्स हास।
2020 का दशकः 2020 - जेन गुडॉल: द होप, 2023 - जेन गुडॉल: रीजन फॉर होप।