ग्लोबल ब्रांड रणनीतिकार डॉ. एरिक जोआचिमस्थेलर (Dr. Erich Joachimsthaler) ने 24वें CII ब्रांड कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि ब्रांड बनाने के जो नियम दशकों से मार्केटिंग पर हावी थे वे अब AI-आधारित मार्केटप्लेस में काफी नहीं हैं। उन्होंने कंपनियों से अपील करते हुए कहा कि वे फिर से ब्रांड्स को कम्युनिकेशन का साधन के बजाय मांग तैयार करने वाले सिस्टम के तौर पर सोचें।
1990 के दशक की शुरुआत से ब्रांडिंग के विकास के बारे में पता करते हुए डॉ. जोआचिमथेलर ने कहा कि पारंपरिक फ्रेमवर्क, ब्रांड की पहचान, इक्विटी मॉडल, रेजोनेंस पिरामिड और खास ब्रांड एसेट्स, लीनियर कंज्यूमर जर्नी, स्टेबल सेगमेंट और मास मीडिया वाली दुनिया के लिए डिजाइन किए गए थे। उन्होंने यह तर्क देते हुए कि AI ने इस बात को मौलिक रूप से बदल दिया है कि मांग कैसे बनती है, फैसले कैसे लिए जाते हैं और विकास कहां होती है कहा, "वह दुनिया अब मौजूद नहीं है।"
आज के दौर में उपभोक्ताओं का सफर कुछ पलों में सिमट जाता है। AI बताई गई जरूरतों के बजाय व्यवहार से इरादे का पता लगाता है, मैसेजिंग के बजाय भरोसेमंद परफॉर्मेंस को इनाम देता है, और सर्च, रिकमेंडेशन और तुलना में रियल टाइम में चुनाव का प्रबंधन भी करता है। नतीजतन सेगमेंटेशन, पोजिशनिंग और फनल-बेस्ड ब्रांडिंग जैसे पारंपरिक विचार विकास को समझाने में ज्यादातर नाकाम रहते हैं।
डॉ. जोआचिमस्थेलर ने यह भी कहा कि ब्रांड का विकास मुख्य रूप से प्रवेश से होती है लॉयल्टी से नहीं। बड़े ब्रांड इसलिए आगे बढ़ते हैं क्योंकि उनके पास ज्यादा खरीदार होते हैं न कि ज्यादा लॉयल खरीदार। खास ब्रांड एसेट्स, लोगो, रंग, सिंबल और क्यूज ब्रांड को दिखने में मदद करते हैं लेकिन वे खुद यह नहीं बताते कि मांग क्यों होती है या महत्व कैसे बनता है।
उन्होंने तर्क दिया कि ब्रांडिंग को अब सिर्फ कहानी सुनाने के बजाए सिस्टम डिजाइन की ओर बढ़ना चाहिए। एक सम्पूर्ण ब्रांड मॉडल पेश करते हुए डॉ. जोआचिमस्थेलर ने दिखाया कि पहचान, रेजोनेंस और महत्व को बनाने को मांग, वित्तीय प्रदर्शन और आर्थिक मुनाफे से सीधे कैसे जोड़ा जाना चाहिए। इस फ्रेमवर्क में ब्रांड मशीन से पढ़े जाने योग्य, संदर्भ-अवगत होने चाहिए और AI-आधारित निर्णय भी मार्गों में एम्बेडेड होने चाहिए।
उन्होंने कहा, "ब्रांड इक्विटी अब सिर्फ जागरूकता या इमेज नहीं रही। यह मशीनों द्वारा खोजने योग्य, एल्गोरिदम द्वारा भरोसेमंद और इरादे के क्षणों में उपयोगी होनी चाहिए।"
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डॉ. जोआचिमस्थेलर ने ब्रांड महत्व को निर्धारित करने वाले रैंकिंग पर ज्यादा भरोसा न करने की चेतावनी दी। उन्हें दिशा के हिसाब से उपयोगी लेकिन असंगत बताया। उन्होंने कहा कि प्रमुखों के लिए असली चुनौती ब्रांडिंग को एक हल्के, अलग-थलग फंक्शन के तौर पर मानने के बजाय ब्रांड रणनीति को राजस्व, मार्जिन, परिचालन लाभ और भविष्य की मांग से जोड़ना है। AI के जमाने में ब्रांड अभियान चलाकर नहीं बल्कि AI-नेटिव इंटरैक्शन फील्ड्स, ऐसे सिस्टम से बढ़ेंगे जो लगातार उपभोक्ताओं की जरूरतों को समझते हैं, सीखते हैं और उन्हें पूरा करते हैं।
उन्होंने कहा, "AI इच्छा और काम के बीच की दूरी को खत्म कर देता है।" साथ ही उन्होंने कहा कि "जो ब्रांड इस सच्चाई के लिए खुद को नए सिरे से डिजाइन करने में असफल होंगे उन्हें प्रासंगिक बने रहने में मुश्किल होगी।"