पश्चिम बंगाल में स्पेशल इनटेंसिव रिविजन (SIR) का मसौदा मतदाता सूची तो जारी कर दिया गया है लेकिन गुरुवार तक सुनवाई के लिए नोटिस भेजने का काम शुरू नहीं हुआ था। नोटिस भेजने का काम कब से शुरू होगा, कब से सुनवाई की प्रक्रिया शुरू होगी इस बारे में अभी तक राज्य चुनाव आयोग (CEO) के अधिकारी भी स्पष्ट तौर पर कोई जानकारी नहीं दे सके हैं।
इस विलंब के लिए राज्य चुनाव आयोग के अधिकारी मुख्य चुनाव आयोग को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस वजह से संभावना जतायी जा रही है कि राज्य में फाइनल मतदाता सूची जारी करने की तारीख में भी बदलाव हो सकता है।
मंगलवार से ही भेजा जाना था सुनवाई का नोटिस
गत मंगलवार को मतदाता सूची का मसौदा जारी होने के साथ ही उसी दिन से सुनवाई के लिए नोटिस भेजा जाना था। इस सूची में संयुक्त होने अथवा नाम कटवाने के लिए आवश्यक फॉर्म भरकर आवेदन करने की आखिरी तारीख 15 जनवरी निर्धारित की गयी थी। सुनवाई में आवेदन करने वाले मतदाताओं को बुलाने की बात कही गयी थी। बताया जाता है कि जब इस आवेदन को स्वीकार करने की प्रक्रिया तो शुरू हो गयी लेकिन मसौदा मतदाता सूची से लोगों को सुनवाई का नोटिस भेजने का काम गुरुवार से शुरू नहीं हो पाया। पर क्यों?
क्यों नहीं शुरू हो पायी नोटिस भेजने की प्रक्रिया?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग ने CEO ऑफिस में सुनवाई का नोटिस इंग्लिश में भेजा है जिसका बांग्ला भाषा में अनुवाद करना है। आयोग चाहता है कि यह नोटिस अंग्रेजी और हिंदी के अलावा सभी 12 राज्यों में (जहां SIR चल रहा है) स्थानीय भाषाओं में भी भेजा जाए।
बताया जाता है कि इस नोटिस का बांग्ला भाषा में अनुवाद CEO ऑफिस से चुनाव आयोग के पास जाने के बाद सुनवाई के लिए जिन लोगों को बुलाया जाना है, उनके नाम पर इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (ERO) के पास निर्धारित लिंक भेज दिया जाएगा। ERO उस पत्र में स्थान व समय का उल्लेख करके उस पर हस्ताक्षर करेंगे और ऑफिस सील लगाकर उसे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के माध्यम से संबंधित मतदाताओं तक नोटिस भेज दिया जाएगा।
कितने दिनों में होना पड़ेगा हाजिर?
मिली जानकारी के अनुसार नोटिस मिलने के बाद प्रत्येक मतदाता को चुनाव आयोग के अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने के लिए 4 से 7 दिनों का समय दिया जाएगा। हालांकि CEO ऑफिस के अधिकारी अभी तक यह निश्चित तौर पर नहीं बता सकें हैं कि अगले सप्ताह से सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी अथवा नहीं। CEO ऑफिस के एक अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि साल 2002 के मतदाता सूची से लिंकेज नहीं दर्शा पाने वाले मतदाताओं की संख्या करीब 30 लाख 59 हजार 273 है जिन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा।
इसके अलावा लगभग 1 करोड़ 37 लाख मतदाताओं को चिह्नित किया गया है जिनके एन्यूमरेशन फॉर्म में दिखाया गया प्रोजेनी मैपिंग संदेहास्पद है। इसलिए मतदाता सूची को अभी भी छांटने की प्रक्रिया चल रही है। इनमें से बड़ी संख्या में मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। उक्त अधिकारी ने बताया कि ERO और AERO दिन में 100 लोगों की सुनवाई तो करेंगे लेकिन 7 फरवरी तक यह पूरी प्रक्रिया पूरी होगी या नहीं, इसे लेकर संदेह है।
अतिरिक्त ERO की नियुक्ति
बता दें, CEO ऑफिस की ओर से बताया गया है कि 7 फरवरी से नए बूथ बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसमें भी काफी दिनों का वक्त लग जाएगा। कई ERO को इस काम में व्यस्त रहना पड़ेगा। इसलिए उस समय सुनवाई मुश्किल होगी। कुल मिलाकर 14 फरवरी को फाइनल मतदाता सूची जारी करना अभी तक मुश्किल ही साबित हो रही है।
राज्य के CEO मनोज अग्रवाल ने कहा कि सुनवाई की प्रक्रिया जल्द पूरी करने के लिए 2800 अतिरिक्त ERO नियुक्त करने की अनुमति चुनाव आयोग ने दी है। राज्य सरकार ने ही इन अधिकारियों की सूची दी है। इसके बावजूद अगर फाइनल मतदाता सूची को जारी करने में समय लगता है तो उसके लिए चुनाव आयोग के पास आवेदन किया जाएगा।