रुझानों में एनडीए ने पार किया बहुमत का आंकड़ा, जदयू कार्यकर्ताओं का जश्न शुरू

By डॉ. अभिज्ञात

Nov 14, 2025 12:59 IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में शुरुआती रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की भारी जीत के संकेत मिलने पर जनता दल (यूनाइटेड) के समर्थकों ने पटना स्थित पार्टी कार्यालय के बाहर जश्न मनाया।जद(यू) कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाईं और खुशी मनाई। पार्टी नेता छोटू सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई देते हुए कहा कि हम नीतीश कुमार को बधाई देते हैं। बिहार की जनता ने उन्हें जीत दिलाई है। हम यहाँ होली-दीवाली मनाएँगे।

एनडीए ने पार किया बहुमत का आंकड़ाः भारत निर्वाचन आयोग के शुरुआती रुझानों के अनुसार एनडीए ने 122 के बहुमत आंकड़े को पार कर लिया। पटना में मुख्यमंत्री आवास के पास 'बिहार का मतलब नीतीश कुमार' वाले बड़े होर्डिंग भी लगाए गए।

सीटों के रुझान में एनडीए आगे, महागठबंधन पीछेः सुबह 11:10 बजे तक 238 सीटों के रुझानों के अनुसार, एनडीए 187 सीटों पर आगे था। भारतीय जनता पार्टी 81 सीटों पर आगे थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) 80 सीटों पर बढ़त बनाए हुए थी। चिराग पासवान की लोजपा (राम विलास) 22 सीटों पर आगे थी। महागठबंधन पिछड़ता नजर आया और केवल 44 सीटों पर आगे रहा। तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल 33 सीटों पर आगे थी, जबकि सहयोगी दल शुरुआती रुझानों में कमजोर प्रदर्शन कर रहे थे। कांग्रेस 5 सीटों पर और भाकपा (माले) लिबरेशन 6 सीटों पर आगे थी।

नीतीश कुमार की अग्निपरीक्षा था यह चुनावः 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी परीक्षा माना जा रहा था। लेकिन पिछले 20+ वर्षों की तरह इस बार भी उन्होंने बिहार की राजनीति को अपने आसपास केंद्रित रखा। ‘पलटू राम’ के आरोपों के बावजूद नीतीश की पकड़ मजबूत रही। उनकी लोकप्रियता का आधार विकास, सुशासन और समावेशी नीतियाँ हैं। मतदाता नीतीश कुमार को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्होंने ग्रामीण ढाँचे में सुधार किया, सीधे आर्थिक सहायता पहुँचाई, वादों को पूरा किया, जिससे जनता का भरोसा बना रहा। लोग स्थिर और लगातार प्रगति को बड़े दावों से अधिक महत्व देते हैं। 20 साल बाद भी नीतीश की प्रासंगिकता बरकरार है। नीतीश कुमार का व्यावहारिक और समावेशी नेतृत्व दशकों पुराने सामाजिक अंतर खत्म करने में मददगार रहा। उन्होंने कम उम्मीदों के बीच भी बेहतर प्रशासन दिया। विकास-केंद्रित राजनीति के कारण वे आज भी बिहार की राजनीति में मजबूत और प्रभावी हैं।

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