पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने शनिवार को बड़ा बयान देते हुए दावा किया कि बिहार का राजनीतिक माहौल पूरी तरह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पक्ष में है और विपक्षी महागठबंधन को इस बार करारी हार का सामना करना पड़ेगा।
पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राय ने कहा, “महागठबंधन ने अब तक सीटों का बंटवारा तक तय नहीं किया है। इससे साफ जाहिर होता है कि उनके भीतर समन्वय की भारी कमी है। जनता का मूड स्पष्ट रूप से एनडीए के पक्ष में है। आने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की हार तय है।”
नित्यानंद राय ने यह भी कहा कि विपक्षी खेमे में हार की आशंका इतनी गहरी है कि वे अभी से बहाने तलाशने लगे हैं। “राजद में हाहाकार मचा है और तेजस्वी यादव अभी से हार के कारण गिनाने लगे हैं,” उन्होंने तंज कसते हुए कहा।
केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने आगे कहा कि महागठबंधन में हार तय है, इस कारण यह स्थिति हुई है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार में देश में विकास की गंगा बह रही है जिससे देश के लोग लाभान्वित हो रहे हैं। 30 करोड़ से ज्यादा लोगों की गरीबी मिट गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो 'सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास' का महामंत्र है, उसे लेकर भाजपा और एनडीए काम कर रही है।
इस बीच, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी महागठबंधन को आड़े हाथों लिया। उन्होंने तेजस्वी यादव को महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की अटकलों पर कहा कि गठबंधन ने खुद इसकी पुष्टि नहीं की है। चिराग पासवान ने पटना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर महत्वपूर्ण सीटों को लेकर रणनीति पर चर्चा की।
उधर, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे विदेश और देश भर की यात्रा कर रहे हैं, लेकिन बिहार नहीं आ रहे। मौर्य ने कहा, “तेजस्वी यादव अपने सहयोगियों का सम्मान नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में महागठबंधन की स्थिति और खराब होती जा रही है। जो लोग उन्हें 20-25 सीटें देने वाले थे, अब शायद उसके लिए भी वे तरस जाएं।”
बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर दो चरणों में मतदान 6 और 11 नवंबर को होना है, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक बयानबाज़ी तेज होती जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का चुनाव बेहद रोचक और कांटे का होगा। जहां एनडीए अपने कामकाज और स्थिर शासन को मुद्दा बना रही है, वहीं INDIA गठबंधन महंगाई, बेरोज़गारी और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। जनता का फैसला किसके पक्ष में होगा, इसका इंतजार पूरे प्रदेश को है। फिलहाल, बिहार की राजनीति में जबरदस्त उबाल है।