बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में ऐतिहासिक मतदान के बाद अब राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्य में 65 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है जो आजादी के बाद से सबसे अधिक है। यह न सिर्फ बिहार की राजनीति का रिकॉर्ड है, बल्कि मतदाताओं के भीतर एक नए उत्साह और बदलाव की चाहत का संकेत भी देता है।
बदलाव के मूड में बिहार?
प्रशांत किशोर का दावा — “इतनी वोटिंग सरकार बचाने के लिए नहीं, बदलने के लिए हुई है” चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने इस ऐतिहासिक वोटिंग पर कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव के लिए मतदान कर रही है। उन्होंने कहा, “पिछले 25-30 सालों से बिहार में राजनीति दो खेमों में सिमटी रही है — एनडीए और महागठबंधन। लेकिन इस बार जनता को एक नया विकल्प मिला है। इतनी वोटिंग सरकार बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि उसे बदलने के लिए हुई है।”
किशोर ने दावा किया कि इस बार युवाओं और प्रवासी मजदूरों ने बड़ी संख्या में वोट डाले हैं जो बदलाव की दिशा में एक मजबूत संकेत है।
जनसुराज — 243 सीटों पर उम्मीदवार, 18% वोट पर 40 सीटों का अनुमान
प्रशांत किशोर की नई पार्टी जनसुराज पार्टी (JSP) बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। यह ऐसा करने वाली एकमात्र पार्टी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर जनसुराज को 15-18 प्रतिशत वोट शेयर मिलता है, तो उसे 25 से 40 सीटें तक मिल सकती हैं।
NDTV के चुनावी कार्यक्रम “बिहार बैटलग्राउंड” में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार -8% वोट शेयर से पार्टी का सीटों में असर दिखने लगता है। 15% वोट शेयर से 25 से ज्यादा सीटें, 18% वोट शेयर पर 40+ सीटें संभव हैं।इसलिए PK का यह प्रदर्शन उन्हें राज्य की राजनीति में “तीसरा बड़ा विकल्प” बना सकता है।
प्रवासी मजदूर और महिलाएं — इस बार के असली X-फैक्टर
प्रशांत किशोर का मानना है कि इस बार के चुनाव में “एक्स-फैक्टर” न तो जातीय समीकरण होंगे और न ही परंपरागत वोट बैंक। बल्कि, प्रवासी मजदूरों और युवाओं की भूमिका निर्णायक होगी।उन्होंने कहा, “छठ पूजा के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बिहार में रुके हुए हैं। उन्होंने अपने और अपने परिजनों के वोट कराए हैं। यह चुनाव का असली सरप्राइज़ है। इस बार महिलाएं ही नहीं, प्रवासी मजदूर X-फैक्टर हैं।”
किशोर ने दावा किया कि यह वर्ग मौजूदा सरकार के प्रति असंतुष्ट है और “जनसुराज” के विचार से प्रेरित होकर बदलाव के पक्ष में मतदान कर रहा है।
भाजपा का पलटवार — “PK का शोर NDA को फायदा देगा”
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रशांत किशोर के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,“PK काफी शोर मचा रहे हैं, लेकिन इससे एनडीए को ही फायदा होगा 25 साल से बिहार की राजनीति लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच घूमती रही है ज़मीनी स्थिति साफ है — नीतीश कुमार को सहानुभूति और नरेंद्र मोदी को विकास का समर्थन मिल रहा है।”
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बिहार के लोग स्थिरता और विकास के लिए वोट करते हैं, “शोर” के लिए नहीं। विश्लेषकों की राय — “PK गैर-गठबंधन वोटों पर करेंगे असर” । चुनाव विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि प्रशांत किशोर की उपस्थिति से बिहार के पारंपरिक समीकरण बदल सकते हैं। “PK एनडीए या महागठबंधन के वोट सीधे नहीं काटेंगे लेकिन गैर-गठबंधन दलों के वोट बैंक पर उनका असर ज़रूर पड़ेगा वे उन मतदाताओं के लिए चेहरा बनकर उभर रहे हैं जो दोनों बड़े गठबंधनों से निराश हैं।”
अमिताभ का कहना है कि जनसुराज अगर 12-15 प्रतिशत वोट भी हासिल करता है, तो यह एनडीए और आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा।
PK का आत्मविश्वास — “14 नवंबर को इतिहास लिखा जाएगा”
पहले चरण की वोटिंग के बाद प्रशांत किशोर ने एक बार फिर आत्मविश्वास जताया। उन्होंने कहा,“14 नवंबर को बिहार में नई व्यवस्था बन रही है जितने लोग सोच रहे थे कि यह चुनाव पुराने समीकरणों में सिमट जाएगा, वे सभी चौंक जाएंगे।” उन्होंने दावा किया कि इस बार बिहार का मतदाता “बदलाव” को लेकर एकजुट है और नतीजे इस सोच को साबित करेंगे।
बिहार की राजनीति में नया अध्याय?
पश्चिम बंगाल में सटीक भविष्यवाणी करने वाले प्रशांत किशोर अब बिहार में अपनी “जनसुराज प्रयोग” की सफलता पर दांव लगा चुके हैं।
बिहार की राजनीति जो दशकों से जातीयता, गठबंधन और व्यक्तिवाद के इर्द-गिर्द घूमती रही है, अब उसमें “तीसरे विकल्प” की आहट सुनाई दे रही है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि जनसुराज का असली असर नतीजों से पहले नहीं, बल्कि 2025 के बाद बिहार की राजनीतिक सोच पर दिखेगा।
यह बिहार की राजनीति में “पोस्ट-लालू, पोस्ट-नीतीश एरा” की शुरुआत हो सकती है।