बिहार में नीतीश-मोदी लहर, 2010 का रिकॉर्ड तोड़ने की ओर, महागठबंधन पीछे

करीब दो दशकों से राज्य का नेतृत्व कर रहे नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव राजनीतिक सहनशीलता और जनता के विश्वास की परीक्षा माना जा रहा है। हाल के वर्षों में उनके गठबंधन बदलने पर सवाल उठे, लेकिन अब मतदाता फिर से उनके शासन मॉडल पर भरोसा जता रहे हैं।

By डॉ. अभिज्ञात

Nov 14, 2025 13:50 IST

पटनाः बिहार में एनडीए इस बार 2010 के रिकॉर्ड को तोड़ने के कगार पर है, जब उसने 206 सीटें जीती थीं। रुझानों में एनडीए बढ़त बनाए हुए है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता इस बढ़त की मुख्य वजह बनी है।

12:52 बजे का रुझानः नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए ने कुल 196 सीटों में बढ़त बनाई है। इसमें भाजपा 88, जदयू 79, लोजपा 21, हम 4 और आरएलएम 4 सीटों में आगे हैं। महागठबंधन का प्रदर्शन इस प्रकार है- राजद 31 सीटों पर आगे, कांग्रेस 4, भाकपा (माले) 5, माकपा 1 और वीआईपी 0, कुल मिलाकर महागठबंधन 41 सीटों में बढ़त पर है। इसके अलावा BSP 1 और AIMIM 5 सीटों पर आगे हैं।

नीतीश कुमार पर जनता का भरोसा: करीब दो दशकों से राज्य का नेतृत्व कर रहे नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव राजनीतिक सहनशीलता और जनता के विश्वास की परीक्षा माना जा रहा है। हाल के वर्षों में उनके गठबंधन बदलने पर सवाल उठे, लेकिन अब मतदाता फिर से उनके शासन मॉडल पर भरोसा जता रहे हैं।

भाजपा–जदयू गठबंधन की ताकत: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभियान के दौरान नीतीश कुमार का पूर्ण समर्थन किया। गठबंधन ने कल्याण योजनाओं, बुनियादी ढांचे, सामाजिक योजनाओं और प्रशासनिक स्थिरता पर जोर देते हुए एकजुट और मजबूत फ्रंट पेश किया।

नीतीश–मोदी जोड़ी का असर: प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रीय लोकप्रियता और बिहार के मुख्यमंत्री की मजबूत स्थानीय पकड़ ने मिलकर एक जबरदस्त चुनावी ताकत बनाई। यह गठबंधन अपनी राजनीतिक लहर को बहुमत में बदलने के लिए तैयार दिख रहा है।

चुनाव प्रक्रिया में सुधार: एनडीए ने बताया कि बिहार में चुनाव प्रक्रिया में सुधार स्पष्ट है। पिछले चुनावों की तुलना में, 2025 में कोई हिंसा या पुनः मतदान नहीं हुआ।

ग्रामीण समर्थन और जनादेश: बिहार देश का तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य और लगभग 89% ग्रामीण आबादी वाला, राष्ट्रीय राजनीति में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। एनडीए का मानना है कि वर्तमान जनादेश राज्य के मजबूत ग्रामीण समर्थन और बिहारवासियों के "सम्मान और आत्म-सम्मान" के वोट का परिणाम है।

सांस्कृतिक पहचान पर जोर: एनडीए ने INDI Alliance पर राज्य का अपमान करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी की छठ पूजा पर आलोचना का जिक्र किया। पीएम मोदी द्वारा छठ पूजा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कराने के प्रयास को बिहार की सांस्कृतिक पहचान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के रूप में बताया गया।

नीतीश कुमार की लोकप्रियता और विकास पर ध्यान: विपक्ष द्वारा बार-बार ‘पलटू राम’ कहे जाने के बावजूद, नीतीश कुमार ने अपना वोट बैंक मजबूत बनाए रखा। ठोस विकास, समावेशी योजनाएं और ग्रामीण बुनियादी ढांचे में सुधार उनके स्थायी लोकप्रियता का कारण हैं।

नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर: चार दशकों से अधिक की राजनीतिक यात्रा में नीतीश कुमार ने पिछड़ा वर्ग और धर्मनिरपेक्ष राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जेपी आंदोलन (1974–1977) के दौरान उन्होंने अपने नेतृत्व और रणनीतिक क्षमता को निखारा, जो उन्हें प्रमुख राजनेताओं में मान्यता दिलाने वाला साबित हुआ। उनके शासन में विकास और समावेशिता पर जोर रहा, जिसने उन्हें विभिन्न समुदायों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय में भी लोकप्रिय बनाए रखा। उनकी योजनाओं और नीतियों ने आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे और जीवन स्तर में सुधार किया।

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