कोलकाताः मतदाता सूची के स्पेशल इंटेन्सिव रिविजन (SIR) के तहत राज्य में सुनवाई प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस दौरान कई मतदाताओं की जन्मतिथि और अन्य शैक्षणिक दस्तावेजों के सत्यापन की आवश्यकता पड़ रही है। इसी क्रम में अतिरिक्त जिलाधिकारियों से चर्चा के बाद जिला विद्यालय निरीक्षकों (DI – प्राथमिक व माध्यमिक) ने स्कूलों के प्रधानाध्यापकों, प्रधान शिक्षिकाओं और टीचर-इन-चार्ज को निर्देश दिया है कि आवश्यकता पड़ने पर छुट्टी के दिनों में भी स्कूल खुले रखें।
निर्देशों में यह भी कहा गया है कि उच्च अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना स्कूल प्रमुख अपना क्षेत्र नहीं छोड़ सकेंगे। यदि किसी छात्र से संबंधित आवश्यक दस्तावेज मांगे जाते हैं, तो संबंधित प्रधानाध्यापक को दो दिनों के भीतर ई-मेल के माध्यम से सत्यापित कागजात लौटाने होंगे। इन दस्तावेजों की समय पर आपूर्ति की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी स्कूल प्रमुखों पर तय की गई है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी क्योंकि इसे जनहित से जुड़ा कार्य माना गया है।
राज्य के 23 शिक्षा जिलों में से अधिकांश में इस तरह के निर्देश जारी होने से स्कूल प्रमुखों में चिंता बढ़ गई है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि कुछ दिन पहले ही शिक्षा मंत्री ने SIR कार्य के लिए बिना सूचना शिक्षकों को हटाए जाने पर आपत्ति जताई थी, क्योंकि इससे माध्यमिक परीक्षा की तैयारियों पर असर पड़ सकता है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी जिलाधिकारियों को इस संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अब स्कूल प्रमुखों को छुट्टियों में स्कूल में मौजूद रहने और क्षेत्र न छोड़ने के निर्देश शिक्षा विभाग की अनुमति से दिए गए हैं।
चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, SIR के तहत मतदाताओं की सुनवाई 7 फरवरी तक चलेगी, जबकि माध्यमिक परीक्षाएं 2 से 12 फरवरी के बीच प्रस्तावित हैं। इस दौरान यदि परीक्षा केंद्रों का उपयोग SIR कार्य के लिए किया गया, तो परीक्षा की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी आशंकाएं सामने आ रही हैं।
स्कूल प्रमुखों का कहना है कि जन्मतिथि या अन्य प्रमाण-पत्रों के सत्यापन के लिए उन्हें प्रवेश रजिस्टर, ट्रांसफर सर्टिफिकेट या स्कूल में उपलब्ध अन्य अभिलेखों का सहारा लेना होगा। इन दस्तावेजों की जांच कर हस्ताक्षर के साथ दो दिनों के भीतर ई-मेल से भेजना बेहद श्रमसाध्य कार्य है। प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने यह भी सवाल उठाया है कि कई स्कूलों में कंप्यूटर या लैपटॉप तक उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में डिजिटल माध्यम से रिपोर्ट भेजना व्यावहारिक रूप से कठिन है।