तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने SIR को लेकर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। शनिवार को अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया जिसमें उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से मिलेंगे।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलने पहुंचा था। दावा किया जा रहा है कि तृणमूल की ओर से वहां पांच सवाल उठाए गए थे। आयोग ने अब तक किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया है। अब उन सवालों का जवाब पाने के लिए अभिषेक बनर्जी सीधे चुनाव आयोग से मिलने जाने वाले हैं।
अगर 1.36 करोड़ मतदाताओं की सूची नहीं हुई जारी तो होगा घेराव
मतदाता सूची का मसौदा जारी होने के बाद राज्य के CEO ऑफिस ने इस सप्ताह से सुनवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया जाता है कि कुल 1.36 करोड़ लोगों को अंतिम मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करवाने के लिए सुनवाई के दौरान प्रमाण पत्र देने होंगे। अभिषेक बनर्जी की मांग है कि इन 1.36 करोड़ मतदाताओं का नाम भी जारी किया जाए। उन्होंने कहा, 'अगर चुनाव आयोग के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो वह सूची को जारी क्यों नहीं किया जा रहा है?'
मुख्य रूप से इन 1.36 करोड़ लोगों को लॉजिकल गड़बड़ियों की वजह से सुनवाई के लिए बुलाया गया है। हालांकि अभिषेक बनर्जी का दावा है कि इन 1.36 करोड़ लोगों के नाम में लॉजिकल गड़बड़ियां क्यों पाई गई हैं? हम जानना चाहते हैं। लोग जान नहीं पा रहे हैं। हम 31 तारीख की डेडलाइन देंगे। अगर यह सूची जारी नहीं हुई तो आयोग के ऑफिस का घेराव किया जाएगा।
1.36 करोड़ मतदाताओं के नाम जारी करने की मांग
बिहार में कुल 27 लाख 'संदिग्ध मतदाता' पाए गए थे जिनमें से कुल 3 लाख मतदाताओं को आखिरकार मतदाता सूची से बाहर कर दिया गया था। पश्चिम बंगाल में वह सूची 1.36 करोड़ हो गई है। कई मतदाता साल 2002 की मतदाता सूची से मैच नहीं होते हैं। किसी के पिता का नाम गलत हैं तो किसी का खुद का नाम ही पिछली सूची से मैच नहीं कर रहा है और उन्हें अलग-अलग वजहों से सुनवाई के लिए बुलाया जा रहा है।
अभिषेक बनर्जी का कहना है कि ऐसा तो हो ही सकता है लेकिन सूची भी जारी करो। हमें पता होना चाहिए कि किस इलाके में किसका नाम गलत है। तभी उसे शिकायत करने का मौका मिलेगा। उसे पता नहीं चल पा रहा है।
सबसे कम नाम पश्चिम बंगाल में हटे
अभिषेक बनर्जी ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग का डाटा है। प्रतिशत के हिसाब से सबसे कम नाम पश्चिम बंगाल से हटाए गए हैं। इसके बावजूद राज्य में जबरदस्ती SIR करना पड़ा क्योंकि भाजपा ने कहा कि बंगाल में एक करोड़ से ज्यादा बांग्लादेशी और रोहिंग्या मतदाता हैं। बता दें, आबादी के हिसाब से पश्चिम बंगाल में 5.79 प्रतिशत नाम हटाए गए हैं जो देशभर के दूसरे राज्यों में सबसे कम है।
मतदाता सूची का मसौदा जारी होने के बाद किस राज्य से कितने नाम हटे?
पश्चिम बंगाल - 58 लाख 20 हजार मतदाता
तमिलनाडु - 57 लाख 30 हजार या 12.57%
गुजरात - 73 लाख 73 हजार या 9.95%
छत्तीसगढ़ - 27 लाख 34 हजार या 8.76%
केरल - 24 लाख 8 हजार या 6.65%
वहीं अभिषेक बनर्जी नए साल में 2 जनवरी से अपने राजनैतिक कार्यक्रम की शुरुआत भी करने वाले हैं। वह 2 जनवरी को बरुईपुर, 3 जनवरी को जलपाईगुड़ी और अलीपुरदुआर जाएंगे। वहां सार्वजनिक बैठकों को संबोधित करने के साथ ही रोड शो भी करने वाले हैं। तृणमूल सांसद ने कहा कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की 'उन्नयनेर डायरी' में छपी जानकारियों को आम लोगों के सामने रखने के लिए जिलों का दौरा शुरू करने वाले हैं।