विधानसभा में विधायक अपने सुरक्षा गार्ड्स के साथ प्रवेश नहीं कर सकेंगे। इस आदेश के सामने आते ही हंगामा मच गया। मामला अब कोर्ट तक पहुंच चुका है। विरोधी पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सवाल उठाया कि फिर मुख्यमंत्री क्यों अपनी सुरक्षाकर्मियों के साथ प्रवेश कर रही हैं? उन्होंने इस मामले में हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया। मंगलवार को न्यायाधीश अमृता सिन्हा की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई।
विधानसभा में मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मियों के साथ प्रवेश करने की बात पर पश्चिम बंगाल विधानसभा ने कोर्ट में जो दलील दी है, उसमें कहा गया है, 'मुख्यमंत्री का पद सांविधानिक पद है। लेकिन विधानसभा में विरोधी पार्टी के नेता का पद सांविधानिक नहीं है। इसलिए मुख्यमंत्री की सुरक्षा के साथ दूसरो की सुरक्षा के मामले को मिलाया जा सकता है।'
न्यायाधीश अमृता सिन्हा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान यह दलील देने के तुरंत बाद ही विधानसभा के अधिकारियों ने विरोधी पार्टी के नेता दायर की गयी कोर्ट की अवमानना के मामले को स्वीकार्यता पर भी सवाल उठाया।
हालांकि न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने सवाल उठाया कि क्या आपको लगता है कि विधानसभा के अंदर अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत है? इसका मतलब है कि सत्ताधारी पार्टी को सुरक्षा की जरूरत है और विरोधी पार्टी के नेता को नहीं है? बताया जाता है कि इस मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
बता दें, विधानसभा में विरोधी पार्टी के विधायकों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार केंद्रीय वाहिनी पर रोक लगाने के बाद ही विरोधी पार्टी के सदस्यों ने कई सवाल उठाएं। विरोधी पार्टी के नेता ने भाजपा के विधायकों को वंचित करने का आरोप लगाया और हाई कोर्ट में मामला दायर किया। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश अमृता सिन्हा की खंडपीठ में शुरू हुई। अदालत में विधानसभा के एक सचिव ने रिपोर्ट जमा की।
इस अगस्त में जब इस मामले की सुनवाई हुई थी तब जस्टिस अमृता सिन्हा ने आदेश दिया था कि विधानसभा के कानून के मुताबिक यह नोटिस लागू रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा के सचिव को निर्देश दिया था कि सभी सदस्यों के लिए एक ही प्रकार का नियम लागू किया जाए, इसे सुनिश्चित किया जाए। इसके बाद सितंबर में विरोधी पार्टी के नेता ने अदालत में मामला दायर किया।
इस मामले में शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा के स्पीकर पर आरोप लगाया कि उन्होंने अदालत के आदेश की अवमानना की है। उनका कहना था कि स्पीकर ने स्पष्ट कहा था कि विधानसभा में कोई विधायक सुरक्षाकर्मी के साथ प्रवेश नहीं कर पाएगा, इसके बावजूद ममता बनर्जी अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ विधानसभा में आती हैं। इससे अदालत की अवमानना हो रही है। क्योंकि जस्टिस सिन्हा ने आदेश दिया था कि सभी सदस्यों के लिए एक ही नियम लागू किया जाए।