मां को सब बताकर नहीं, कुछ कोशिशें छिपाकर करें - अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने चुपके से दी खास Tips

नन्ही समृद्धि ने जैसे ही सवाल पूछा शुभांशु शुल्का ठहाके मारकर हंस पड़े। फिर शुभांशु ने चुपके से नन्ही समृद्धि की मुश्किल को आसान बनाने का खास टिप्स भी दिया।

By Kubalay Banerjee, Posted By : Moumita Bhattacharya

Dec 11, 2025 11:26 IST

'मैं एस्ट्रोनॉट बनना चाहती हूं लेकिन मां नहीं मान रही है। मुझे बता दिजीए न...मां को कैसे मनाऊं?' दुर्गापुर के डीएवी मॉडल स्कूल के तीसरी कक्षा की छात्रा समृद्धि हल्दार के इस सवाल को सुनकर एक पल के लिए खुद शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) भी स्तब्ध रह गए थे।

दरअसल, जुलाई'25 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से वापस लौटने के बाद वह कई जगहों पर अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल जरूर हो रहे हैं लेकिन वहां उनके अनुभव या अंतरिक्ष यात्री बनने की कठिनाईयों या विज्ञान से जुड़े सवालों का ही उन्हें सामना करना पड़ रहा था। शुभांशु इस तरह के किसी सवाल के लिए तैयार नहीं थे।

नन्ही समृद्धि ने जैसे ही यह सवाल पूछा शुभांशु शुल्का ठहाके मारकर हंस पड़े और उनके साथ पूरे ऑडिटोरियम में भी हंसी गूंज सुनाई देने लगी। लेकिन इसके बावजूद शुभांशु ने चुपके से नन्ही समृद्धि की मुश्किल को आसान बनाने का खास टिप्स भी दिया। शुभांशु ने कहा, 'सब काम मां को बताकर नहीं करनी चाहिए। छिपकर कोशिश करनी चाहिए।' शुभांशु की बात सुनकर ही ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

पहले भी आ चुके हैं कोलकाता

अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में बतौर प्रथम और अभी तक एकमात्र भारतीय अंतरिक्ष शुभांशु शुक्ला मानो बंगाल में लोगों का दिल जीतने ही आए थे और इस काम में वह कामयाब भी हुए। इससे पहले वह बैरकपुर में भारतीय वायुसेना के एयरबेस में प्रशिक्षण लेने वह कोलकाता आए थे लेकिन उसके बाद वह पहली बार कोलकाता आए।

हालांकि यह कुछ सालों पहले की बात है और तब से लेकर अब तक में काफी कुछ बदल चुका है। बैरकपुर में जिन्होंने प्रशिक्षण लिया था, वह सिर्फ भारतीय वायु सेना के पायलट थे। लेकिन बुधवार को कोलकाता के इंडियन सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स (ICSP) में जो शुभांशु शुक्ला आए थे, वह अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) शुभांशु शुक्ला थे जो आज न जाने कितने युवाओं का आइडल बन चुके हैं। प्यार से जिन्हें 'शुक्स' बुलाया जाता है।

अपने हीरो की एक झलक पाने के लिए पहुंचे लोग

कोलकाता में कुछ साल पहले खगोल विज्ञानी संदीप चक्रवर्ती की पहल पर देश का पहला अंतरिक्ष म्यूजियम बनकर तैयार हुआ है। इसके अलावा इंडियन सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स में भी काफी लोग शोध कार्य करते हैं। अंतरिक्ष शोध के इस केंद्र को देखने के लिए और स्कूली छात्र-छात्राओं को अपने अंतरिक्ष अभियान से जुड़े रोचक और रोमांचक अनुभव सुनाने के लिए ही ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला कोलकाता आए थे।

इसके साथ ही भारत में अंतरिक्ष शोध के विकास की गति को लेकर भी एक परिचर्चा का आयोजन किया गया था, जिसमें भी वह शामिल हुए। हर जगह ही शुभांशु नायक की भूमिका में थे। अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराकर वापस लौटने वाले हीरो की एक झलक पाने के लिए ICSP में काफी संख्या में पहुंचे थे। इन छात्रों में शामिल था सोनारपुर के घासियाड़ा विद्यापीठ में कक्षा 12वीं का छात्र सौम्यजीत विश्वास भी।

सेरीब्रल पल्सी (Cerebral Palsy) के शिकार सौम्यजीत को चलने-फिरने में दिक्कत होती है। अपने दो दोस्तों रोहित बसु और सौरदीप माइति के कंधों का सहारा लेकर ही वह भी ICSP में अपने हीरो से मिलने पहुंचा था। तीनों छात्रों का कहना था कि वे भविष्य में शुभांशु जैसा ही बनना चाहते हैं।

खुला किस्सों का पिटारा

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के न होने की वजह से शून्य में तैरने से लेकर पृथ्वी पर लौटते समय अंतरिक्षयान के बाहर का तापमान लगभग 5000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने तक और भी न जाने कितने किस्सों का पिटारा लेकर शुभांशु शुक्ला कोलकाता आए थे। उन्होंने कहा, 'जब मणिपुर के एक छोटे गांव में रहने वाली एक बच्ची ने मुझसे पूछा था कि वह कैसे अंतरिक्ष में जा सकती है? उस समय ऐसा लगा था मानो हमारा अंतरिक्ष में जाना सार्थक हो गया है।'

अगर भीड़ से भरे ऑडिटोरियम में शुभांशु शुक्ला की नजर सोनारपुर के सौम्यजीत पर गयी होगी तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि भविष्य में किसी और टॉक शो के दौरान वह सौम्यजीत की चर्चा भी वहां कर सकते हैं।

सिर्फ सौम्यजीत या नन्ही समृद्धि ही नहीं बल्कि ऐसे लाखों बच्चे हैं जिन्हें अंतरिक्ष में जाने का सपना ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने दिखाया है। संभवतः यहीं उनकी सबसे बड़ी सफलता भी रही है।

Prev Article
लंबी चलने वाली राज्य में सर्दी की यह पारी, कितना लुढ़का कोलकाता और दार्जिलिंग का तापमान?
Next Article
SIR की गिनती का फेज़ खत्म हो गया है, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से कितने नाम हटेंगे?

Articles you may like: