11 दिसंबर (गुरुवार) को पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के पहले चरण के इंटेंसिव रिवीजन का आखिरी दिन है। चुनाव आयोग ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि एन्यूमरेशन फॉर्म भरने का काम आधी रात तक पूरा हो जाना चाहिए। वहीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को नादिया के कृष्णानगर में एक बैठक के दौरान बताया कि उन्होंने अभी तक अपना एन्यूमरेशन फॉर्म नहीं भरा है।
क्यों नहीं भरा?
ममता बनर्जी ने इस बैठक में अपना फॉर्म न भरने का कारण भी बताया। उन्होंने कहा कि सुनिए, मैंने अभी तक फॉर्म नहीं भरा है। क्यों नहीं भरा? मैं तीन बार केंद्रीय मंत्री रह चुकी हूं। मैं 7 बार सांसद रही हूं। और आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं से मैं तीन बार मुख्यमंत्री भी बनी हूं। मुझे आज यह साबित करना है कि मैं भारत की नागरिक हूं या नहीं? इससे तो रिजेक्ट होना ही बेहतर है।
इस बैठक के दौरान उन्होंने SIR को लेकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मुझे उन दंगाइयों के सामने साबित करना होगा कि मैं देश की नागरिक हूं या नहीं। इतनी भूख है कि चुनाव से 2 महीने पहले SIR करवा रहे हैं!
क्या होगा अब?
विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक मुख्यमंत्री एक चुना हुआ जनप्रतिनिधि होता है। वह एक 'मार्क्ड वोटर' या 'मार्क्ड इलेक्टर' होता है। उसका नाम पहले से ही मतदाता सूची में दर्ज रहता है। इसलिए अगर वह फॉर्म नहीं भी भरता है तब भी कोई दिक्कत नहीं है। राज्य के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री जैसे पदों पर बैठे लोगों के नाम अपने आप मतदाता सूची में दर्ज हो जाते हैं।
गौरतलब है कि SIR प्रक्रिया की शुरुआत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने X हैंडल पर बताया था कि जब तक पूरे राज्य के लोग एन्यूमरेशन फॉर्म नहीं भर लेते हैं, तब तक वह अपना फॉर्म नहीं भरेंगी। हालांकि उन्होंने राज्य के लोगों को बार-बार एन्यूमरेशन फॉर्म भरने की याद दिलाई है। साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी है कि अगर किसी का नाम छूटा तो वह हार नहीं मानेंगी।