पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान एक महिला डॉक्टर का हिजाब हटाए जाने के मामले पर उठे विवाद के बीच राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने मुख्यमंत्री का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का व्यवहार “पितृसुलभ” था और इसे गलत नजरिए से देखा जा रहा है।
यह घटना सोमवार को मुख्यमंत्री सचिवालय में आयोजित उस कार्यक्रम के दौरान हुई, जहां 1,000 से अधिक आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। इनमें से 10 डॉक्टरों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं नियुक्ति पत्र दिए, जिनमें नुसरत परवीन नाम की एक महिला डॉक्टर भी शामिल थीं, जो उस समय हिजाब पहने हुई थीं। मंच पर खड़े मुख्यमंत्री ने नुसरत परवीन को देखकर “यह क्या है?” कहते हुए उनका घूंघट/हिजाब नीचे किया, जिससे उनका चेहरा दिखाई देने लगा। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा हो गया।
अल्पसंख्यक मंत्री जमा खान ने कहा, “मुख्यमंत्री उस महिला के पिता से भी उम्र में बड़े होंगे। मेरे खुद की बेटी है, इसलिए मैं समझ सकता हूं कि वह भाव पिता जैसा स्नेह था।” उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए जाने पर मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि हाल ही में एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि जो लोग इसे मुद्दा बना रहे हैं, उनकी सोच विकृत है।
जमा खान ने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री का उद्देश्य यह दिखाना था कि अल्पसंख्यक समुदाय की बेटियां भी बिहार में आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि बेवजह की बयानबाजी से न सिर्फ मुख्यमंत्री, बल्कि उस महिला डॉक्टर को भी असहज स्थिति में डाला जा रहा है।
यह मामला फिलहाल राजनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ है, जहां एक ओर सरकार इसे गलतफहमी बता रही है, वहीं विपक्ष इसे असंवेदनशील व्यवहार करार दे रहा है।