हैदराबाद: बेंगलुरु टॉर्पेडोज टीम का खेल चलने के दौरान कोर्टसाइड पर छह फुट आठ इंच का सुडौल चेहरा किसी का भी ध्यान आकर्षित करेगा। वे हैं बेंगलुरु टीम के कोच डेविड ली। 43 वर्षीय ली एक ओलंपिक स्वर्ण पदक और कांस्य पदक विजेता हैं। ली यदि अगर जर्सी पहनकर उतरें तो अब भी कई लोग उन्हें खिलाड़ी ही समझेंगे लेकिन उनका मन अब खिलाड़ी बनाने में लगा है।
अपनी टीम के युवा खिलाड़ियों को लेकर ली अति उत्साहित हैं। बेंगलुरु के चैंपियन बनने के बाद जब स्टेडियम में क्वीन्स का प्रसिद्ध 'वी आर द चैंपियन्स' गाना बज रहा था, तब ली खिलाड़ियों के कंधों पर थे। 2008 में यूएसए के लिए ओलंपिक स्वर्ण विजेता, 2016 ओलंपिक में कांस्य, इसके अलावा वर्ल्ड कप, वर्ल्ड लीग का स्वर्ण। वे अपनी आधी उम्र के भारतीय युवाओं के साथ खुशी से घुल-मिल गए हैं।
बेंगलुरु के तीन खिलाड़ी सेतु टीआर, जिष्णु पीवी और जोएल बेंजामिन को लेकर मीडिया में भी जोरदार चर्चा। ली बाद में कह रहे थे, 'सेतु बहुत दिनों से बहुत अच्छा सर्व करता है। इसीलिए टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ सर्वर का पुरस्कार जीता है। जिष्णु को भी अच्छी तरह जानता था लेकिन मुझे सबसे ज्यादा हैरान जोएल ने किया है।' ली आगे कहते हैं, 'मुझे यकीन है जोएल जल्द ही राष्ट्रीय टीम में बुलावा पाएगा। लंबे समय तक खेलेगा।'
सिर्फ अपनी टीम नहीं, ली के मुंह से भारतीय युवाओं की बात सुनाई दी। कह रहे थे, 'मुझे तो कई खिलाड़ी काफी प्रतिभाशाली लगे हैं। जो 30 पार कर गए हैं, वे अनुभवी हैं, कई राष्ट्रीय टीम में खेलते हैं। मैं ज्यादा करके 21-22 साल के आसपास वालों की बात करूंगा। सही गाइडेंस मिले तो ये अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अच्छा करेंगे ही।'
इसके लिए राष्ट्रीय वॉलीबॉल संस्था की तरफ से क्या करना जरूरी है ? ली का नुस्खा, 'राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने से पहले 14 दिन का शिविर काफी नहीं है। एक टीम को अच्छा प्रदर्शन कराने के लिए लगातार कम से कम सात-आठ महीने एक साथ रखकर प्रैक्टिस कराना जरूरी है। इससे अच्छा परिणाम मिलेगा ही।'