नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण का आह्वान किया है। 26 नवंबर संविधान दिवस के अवसर पर देशवासियों के नाम लिखे एक पत्र में उन्होंने यह विशेष संदेश दिया। उन्होंने मजबूत लोकतंत्र की नींव के रूप में नागरिकों से अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने की अपील की।
संविधान दिवस पर X हैंडल पर नागरिकों को संबोधित पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मताधिकार की शक्ति की याद दिलाई। उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मतदान के अधिकार के जिम्मेदाराना उपयोग पर जोर दिया। साथ ही प्रधानमंत्री ने स्कूल और कॉलेजों को सलाह दी कि वे 18 वर्ष के युवाओं यानी पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं का सम्मान करके संविधान दिवस मनाएँ।
एक्स हैंडल पर प्रधानमंत्री ने लिखा: “संविधान दिवस पर हम अपने संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि देते हैं। उनकी दूरदृष्टि और प्रज्ञा हमें ‘विकसित भारत’ के निर्माण के प्रयास में निरंतर प्रेरित करती है। हमारा संविधान गरिमा, समानता और स्वतंत्रता को सर्वोच्च महत्व देता है। यह नागरिकों को अधिकार देने के साथ-साथ हमें अपने कर्तव्यों की भी याद दिलाता है, जिन्हें निभाना हमारा दायित्व है। यही कर्तव्य एक मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला हैं।”
नागरिकों को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री ने बी.आर. आंबेडकर की भूमिका की भी प्रशंसा की। साथ ही अपने पहले संसद पहुँचने के दिवस की स्मृतियाँ भी साझा कीं। उन्होंने लिखा: “24 वर्षों से अधिक समय तक लगातार सरकार के प्रमुख के रूप में कार्य करना मेरे लिए संभव हुआ है। 2014 के वे क्षण आज भी मेरी स्मृतियों में ताज़ा हैं-जब मैं पहली बार संसद पहुँचा और लोकतंत्र के इस सर्वोच्च मंदिर की सीढ़ियों को छूकर प्रणाम किया।”
इस विस्तृत पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्यों का भी उल्लेख किया है।
उधर, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संविधान की रक्षा के प्रति सजग रहने की सलाह दी। संविधान दिवस पर एक्स हैंडल पर उन्होंने लिखा: “संविधान केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि हर नागरिक से किया गया एक पवित्र वादा है। यह वादा है कि धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा, अमीर या गरीब—सबको समानता, न्याय और सम्मान मिलेगा।”