पेरिसः फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित लूव्र म्यूज़ियम में रविवार सुबह एक सुनियोजित चोरी की घटना सामने आई। सुरक्षा व्यवस्था को भेदते हुए तीन से चार लोगों के एक समूह ने संग्रहालय की अपोलो गैलरी से नेपोलियन और महारानी के ऐतिहासिक गहनों के संग्रह से नौ वस्तुएं चुरा लीं। यह पूरी घटना सिर्फ सात मिनट के भीतर अंजाम दी गई।
घटना सुबह 9:30 से 9:40 के बीचः फ्रांस की संस्कृति मंत्री राशिदा दाती ने X (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी दी कि चोरी सुबह 9:30 से 9:40 बजे के बीच हुई। गृह मंत्री लॉरेंट नुनेज ने इसे एक पूर्व नियोजित और पेशेवर चोरी बताया और कहा कि गिरोह ने इस वारदात को सात मिनट के भीतर अंजाम दिया।
संग्रहालय में प्रवेश का तरीकाः फ्रांसीसी समाचार एजेंसी Le Parisien और France 24 की रिपोर्ट के अनुसार, चोरों ने संग्रहालय में सीन नदी की दिशा से उस हिस्से में प्रवेश किया जहां निर्माण कार्य चल रहा था। वहां से उन्होंने एक हाइड्रोलिक सीढ़ी और माल ढोने वाली लिफ्ट की सहायता से सीधे अपोलो गैलरी तक प्रवेश किया।
उपकरणों के साथ पहुंचे चोरः पुलिस सूत्रों के अनुसार, अपराधियों के पास डिस्क कटर और छोटे चेनसॉ जैसे उपकरण थे। उन्होंने इनका प्रयोग कर सुरक्षा कांच और खिड़कियों को काटा और लक्षित आभूषणों तक पहुंच बनाई। वारदात के बाद वे मौके से वाहनों के ज़रिये फरार हो गए।
म्यूज़ियम बंद, क्षति का मूल्यांकन जारीः चोरी की घटना के बाद लूव्र म्यूज़ियम को 'असामान्य कारणों' से अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। संग्रहालय प्रशासन ने चोरी गए गहनों की मूल्य का तत्काल खुलासा नहीं किया, परंतु यह संग्रह नेपोलियन युग से संबंधित माना जाता है और इसका ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है।
कोई घायल नहीं, जांच जारी: संस्कृति मंत्री दाती और पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति की समीक्षा की। मंत्री ने पुष्टि की कि घटना में कोई व्यक्ति घायल नहीं हुआ है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, तकनीकी साक्ष्य और गवाहों के बयान के आधार पर जांच शुरू कर दी है।
लूव्र म्यूज़ियम का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्वः लूव्र म्यूज़ियम दुनिया के सबसे अधिक देखे जाने वाले संग्रहालयों में से एक है। यह संग्रहालय कभी फ्रांसीसी राजाओं का निवास हुआ करता था और अब यहां विश्वप्रसिद्ध कलाकृतियां संग्रहित हैं। पिछले वर्ष करीब 90 लाख लोगों ने संग्रहालय का दौरा किया था।
पहले भी हो चुकी हैं चोरी की घटनाएंः लूव्र म्यूज़ियम से 1911 में मोना लिसा पेंटिंग चोरी हुई थी, जिसे दो वर्ष बाद बरामद किया गया। 1971 में गुस्ताव कूरबेट की पेंटिंग द वेव चोरी हुई और अब तक नहीं मिल सकी। 1983 में ऐतिहासिक कवच के कुछ हिस्से चोरी हुए थे।