इस्लामाबादः आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद फिर सिर उठा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर ने एक झटके में बहावलपुर में जैश का ठिकाना ध्वस्त कर दिया गया था। फिर भी जैश ने हार मानने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तानी सेना और प्रशासन की मदद से बहावलपुर का कैंप नए सिरे से बनाया जा रहा है। इसका वीडियो पहले ही सामने आ चुका था। अब एक नयी बात सामने आई है। मसूद अज़हर का जैश-ए-मोहम्मद यह संगठन अपनी परम्परा तोड़ते हुए पहली बार अपनी महिला ब्रिगेड बना रहा है।
हालांकि पाकिस्तान का यह कट्टरपंथी आतंकी संगठन हमेशा महिलाओं को हीन दृष्टि से देखता आया है। जैश-ए-मोहम्मद सशस्त्र आतंकी अब तक हमले या कॉम्बैट मिशन से महिलाओं को दूर रखता आया है। अब इस संगठन ने अपना नजरिया बदल दिया है। मसूद अजहर के संगठन ने 'जमात-उल-मोमिनात' बनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया है कि इस संगठन में भर्ती का काम बहावलपुर के मरकज उसमान-ओ-अली से शुरू होगा।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, इस महिला ब्रिगेड का नेतृत्व मसूद अज़हर की बहन सादिया अज़हर करेगी। पहले से ही इस सादिया को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से आतंकी घोषित किया जा चुका है। सादिया का पति यूसुफ अज़हर भी इस आतंकी संगठन का एक शीर्ष नेता था। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के समय बहावलपुर में जैश के हेडक्वार्टर पर हमला किया था। उस हमले में यूसुफ अज़हर मारा गया था।
सूत्र की खबर के अनुसार, ब्रिगेड में पहले से ही जैश के लिए काम कर रहे आतंकियों की पत्नियों को लिया जाएगा। जो आतंकी मारे गए हैं उनकी पत्नी या परिवार की महिलाओं को ब्रिगेड में लेने की योजना बनाई गई है। इसके अलावा, बहावलपुर, कराची, कोटली, हरिपुर के ठिकानों में आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों से जो लड़कियां पढ़ने आती हैं, उन्हें भी आतंकी ट्रेनिंग देकर महिला ब्रिगेड में भर्ती किया जाएगा।
मालूम हो कि आईएसआईएस, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसे आतंकी संगठनों ने महिलाओं को आत्मघाती आतंकी के रूप में कई बार इस्तेमाल किया है। हालांकि अब तक जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन इस तरीके से बचते रहे थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि 'जमात-उल-मोमिनात' का टारगेट भारत है। भारत के कई इलाकों में जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में वे अपना नेटवर्क बढ़ाने की कोशिश करेंगे। यह समूह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके ब्रेनवॉशिंग का काम कर सकते हैं। नई बनी ब्रिगेड का लक्ष्य सिर्फ पिछड़ा वर्ग ही नहीं, शिक्षित और शहरी महिलाओं को भी धर्म के नाम पर आतंकी संगठन की छतरी के नीचे लाना है। जैश-ए-मोहम्मद भारत में कई बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड है, जिसकी सूची में 2001 में संसद हमला, 2019 में पुलवामा हमले जैसी घटनाएं शामिल हैं।