बलूचिस्तान के बाद इस्लामाबाद को एक और अलगाववादी आंदोलन का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर या पीओके धीरे-धीरे अशांत होता जा रहा है। पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की मनमानी के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए पूरे पीओके में बंद का आह्वान किया गया है।
उनकी मांगें क्या हैं?
नीमुल घाटी पब्लिक एक्शन कमेटी ने पाकिस्तान सरकार की लापरवाही और उदासीनता के विरोध में सोमवार (29 सितंबर) को बंद का आह्वान किया है। हालांकि इस्लामाबाद और उसकी सेना ने संकेत दिया है कि वे इस आंदोलन को बलपूर्वक दबाएंगे। इस दिन पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए एक फ्लैग मार्च भी किया।
नीलम वैली पब्लिक एक्शन कमेटी के नेता शौकत नवाज मीर ने मांग की है कि पाकिस्तान सरकार पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर के लोगों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों का समाधान करे। उनका आरोप है कि इस्लामाबाद पीओके के लोगों की उपेक्षा कर रहा है। व्यापक भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं। इसके अलावा पीओके का दावा है कि उन्हें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और शुद्ध पेयजल जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया है।