अब नेपाल में बाढ़ का कहर, भूस्खलन से कम से कम 51 की मौत, बिहार के भी कई गांव जलमग्न

नेपाल के पानी से बिहार के कई गांव जलमग्न हो गए हैं। एसएसबी-पुलिस ने संयुक्त रूप से बचाव कार्य शुरू कर दिया है। जानकार सूत्रों के एक वर्ग का दावा है कि मुख्य रूप से नेपाल की मेची, कनकई, रतुवा, नूना, बकरा नदियों में जल स्तर बढ़ने के कारण ही भारत-नेपाल सीमा से लगे बिहार के कई इलाकों का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया है।

By अयंतिका साहा, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Oct 06, 2025 17:22 IST

काठमांडूः नेपाल में फिर से मौत का तांडव दिखा! इस बार प्रकृति का प्रकोप। सितंबर के मध्य में सरकार विरोधी आंदोलन के दौरान कम से कम 72 लोगों की जान गई थी। उसका असर खत्म होने से पहले ही नेपाल में 36 घंटे से अधिक समय तक लगातार बारिश और उसके कारण बाढ़ और भूस्खलन में रविवार को मृतकों की संख्या 51 को पार कर गई। मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

बाढ़ और भूस्खलन में कई लोग लापता हैं। अभी भी नेपाल की कोसी, गंडक, बागमती जैसी कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। देश का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न है।

अगले कम से कम 24 घंटों तक भारी बारिश की संभावना है। भूस्खलन के कारण देश के कई महत्वपूर्ण सड़क और राजमार्ग क्षतिग्रस्त हो गए हैं। संचार व्यवस्था लगभग बाधित है। कोशिश करने के बावजूद बचाव दल कई क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। देशी-विदेशी पर्यटक फंसे हुए हैं। प्रशासन ने उन्हें फिलहाल होटल में रहने की सलाह दी है। इस बीच सेना को तैनात किया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा से निपटने में पड़ोसी देश के साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया है। सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'नेपाल में भारी बारिश के कारण जो नुकसान और जनहानि हुई है, वह बहुत दुखद है। इस मुश्किल समय में हम हर तरह से नेपाल सरकार और नागरिकों के साथ हैं। पड़ोसी और मित्र देश के रूप में तबाह नेपाल की किसी भी जरूरत में मदद करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है।' हालांकि बुद्ध के देश में राहत अभी भी दूर है।

इधर खबर है कि नेपाल के पानी से बिहार के कई गांव जलमग्न हो गए हैं। एसएसबी-पुलिस ने संयुक्त रूप से बचाव कार्य शुरू कर दिया है। जानकार सूत्रों के एक वर्ग का दावा है कि मुख्य रूप से नेपाल की मेची, कनकई, रतुवा, नूना, बकरा नदियों में जल स्तर बढ़ने के कारण ही भारत-नेपाल सीमा से लगे बिहार के कई इलाकों का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया है। प्रशासन की ओर से रविवार शाम को भी माइक से ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने का अनुरोध किया गया है।

नेपाल की स्थिति हालांकि और भी भयावह है। निम्न दबाव के कारण शुक्रवार से लगातार बारिश हो रही है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार अधिकांश क्षेत्रों में 24 घंटों में औसतन 250 मिलीमीटर बारिश हुई है। स्थिति से निपटने के लिए सोमवार और मंगलवार को सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित की गई है।

कार्यवाहक प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने बताया कि लगातार भारी बारिश के कारण भूस्खलन, बाढ़ और भूमि कटाव की आशंका है। देश के नागरिकों को आश्वस्त करते हुए सुशीला ने कहा कि प्रशासन सभी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार है। पुलिस, सेना, स्वास्थ्यकर्मियों को भी आपातकालीन स्थिति में सतर्क रहने को कहा गया है।

सबसे अधिक प्रभावित पूर्वी नेपाल का इलाम जिला है। केवल वहां ही कम से कम 37 लोगों की मौत हुई है। घर गिरने, बाढ़ में बह जाने के साथ-साथ आकाशीय बिजली गिरने से भी मौतों की खबरें हैं। नेपाल के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि बाढ़ में अब तक कम से कम 11 लोग लापता हैं। तलाशी शुरू हो गई है, लेकिन खराब मौसम और सड़कों पर भूस्खलन के कारण बचाव कार्य में समय लग रहा है।

भूस्खलन के कारण नेपाल के कई राजमार्ग बंद हो गए हैं। बाढ़ के पानी के बहाव में कई पुल बह गए हैं। काठमांडू हवाई अड्डे के प्रवक्ता रिंजी शेरपा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें जारी हैं, लेकिन आपदा के कारण कई घरेलू उड़ानें प्रभावित हुई हैं। नेपाल के सुनसरी जिले के गवर्नर धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि कोसी नदी का जल प्रवाह सामान्य से दोगुना से भी अधिक है। सामान्य स्थिति में जहां कोसी बैराज के 10 से 12 स्लूइस गेट खुले रहते हैं, वहां अब 56 स्लूइस गेट खोल दिए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार कोसी बैराज के पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने जा रही है।

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