भारतीय शेयर बाजार में लगातार तीन कारोबारी सत्रों में भारी बढ़त देखने को मिली है। बुधवार से शुक्रवार तक की तेजी ने शेयर बाजार में रौनक लौटा दी है। सेंसेक्स और निफ्टी अपने एक साल के नए उच्च स्तर पर पहुंच गए। वहीं बैंक निफ्टी ने अपना अब तक का सर्वाधिक उच्च स्तर छू लिया। दिवाली से पहले शेयर बाजार की यह स्थिति देखकर देश के शेयर कारोबारी राहत की सांस ले रहे हैं।
सप्ताह के आखिरी कारोबारी सत्र में शुक्रवार को सेंसेक्स 0.58 प्रतिशत या 484 अंक चढ़ा। पिछले तीन दिनों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मुख्य सूचकांक 1,922 अंक या 2.3 प्रतिशत बढ़ा। इसके चलते सेंसेक्स 83,952 अंक पर रहा।
शुक्रवार को निफ्टी 50 124 अंक या 0.49 प्रतिशत चढ़ा। पिछले तीन दिनों में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का यह मुख्य सूचकांक 563 अंक या 2.2 प्रतिशत बढ़ा। इसके चलते निफ्टी50 25,709 अंक पर रहा।
सेंसेक्स और निफ्टी 50 के मजबूत प्रदर्शन के बावजूद शुक्रवार को मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन कमजोर रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में मिडकैप सूचकांक 0.43 प्रतिशत और स्मॉलकैप सूचकांक 0.49 प्रतिशत गिरा।
सेंसेक्स और निफ्टी 50 में भारी बढ़त के दिन भी सेक्टोरल इंडेक्स का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। सेक्टोरल इंडेक्स में निफ्टी एफएमसीजी में सबसे ज्यादा (1.37%) की बढ़त रही। इसके अलावा फार्मा, ऑटो, बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे कई सेक्टोरल इंडेक्स में भी अच्छी-खासी बढ़त दर्ज की गई। इनमें निफ्टी बैंक के अंक शुक्रवार को नई ऊंचाई पर पहुंच गए। इस सेक्टोरल इंडेक्स ने इस साल का अपना सर्वोच्च स्तर छुआ। सेक्टोरल इंडेक्स में निफ्टी आईटी का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा। इस शेयर की कीमत में 1.63% की गिरावट आई है।
विभिन्न बाजार विश्लेषकों ने शुक्रवार को शेयर बाजार में आई तेजी के पीछे कई कारण बताए हैं। शुक्रवार को निवेशक देश के विभिन्न लार्ज-कैप शेयरों में खरीदारी के लिए उत्सुक थे। निवेशकों ने शॉर्ट कवरिंग के लिए एयरटेल, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक जैसे शेयरों में निवेश किया। इससे दोनों बेंचमार्क सूचकांकों में बढ़त दर्ज की गई।
इस हफ्ते देश की कई शीर्ष कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के लिए अपनी वित्तीय रिपोर्ट जारी की है। ज्यादातर मामलों में ये तिमाही रिपोर्ट उम्मीदों के आसपास ही रही हैं जिससे बाजार की धारणा को बल मिला है।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशकों के निवेश पर वापसी और डॉलर की कमजोरी ने दलाल स्ट्रीट की तेजी में अहम भूमिका निभाई है। सकारात्मक व्यापक आर्थिक परिस्थितियों ने भी भारतीय शेयर बाजार की तेजी में मदद की है।
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