नई जीएसटी दरें: 3 लाख करोड़ रुपये के खर्च के इंतजार में भारतीय बाजार

अब 'लोलापालूजा प्रभाव' देखने को मिल सकता है बाजार में।

By Sudipta Banerjee, Posted by: Shweta Singh

Oct 06, 2025 19:38 IST

एई समय। 'लोलापालूजा'! बहुत से लोग इस खास शब्द से परिचित नहीं होंगे। अगर आप शब्दकोश खोलेंगे तो इसमें किसी आकर्षक व्यक्ति या वस्तु का अर्थ दिखाई देगा। खैर, जो भी हो जीएसटी काउंसिल द्वारा कर दरों को घटाकर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत करने, आयकर में छूट और रिजर्व बैंक द्वारा ऋणों पर ब्याज दरों में कमी के कारण भारतीय बाजार में 'लोलापालूजा प्रभाव' देखने को मिलने वाला है। कम से कम विशेषज्ञों का तो यही कहना है।

सरकार द्वारा जीएसटी दरों में की गई कटौती से उपभोक्ता खर्च में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होने की उम्मीद है। जीएसटी दरों में बदलाव, कम ब्याज दरों और आयकर छूट के संयोजन से आम आदमी द्वारा दैनिक आवश्यकताओं और उपभोक्ता उपकरणों सहित कई उत्पादों पर खर्च में वृद्धि की इस प्रवृत्ति को ही विशेषज्ञ 'लोलापालूजा' कहते हैं।

अर्थशास्त्रियों और बाजार विशेषज्ञों के अनुसार इसके परिणामस्वरूप दैनिक जरूरतों से लेकर उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन से जुड़े सभी उद्योग फलेंगे-फूलेंगे। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विनोद कार्की का मानना ​​है कि यह 'तूफ़ान' न केवल उपभोक्ताओं की खर्च करने की आदतों को बदलेगा बल्कि शेयर बाजार में निवेशकों के लिए नए अवसर भी पैदा करेगा।

उन्होंने कहा, "तीन कारकों के कारण औसत मांग बढ़ेगी: जीएसटी दरों में कमी, आयकर छूट और ऋण पर ब्याज दरों में कमी। इसके साथ ही विभिन्न परियोजना क्षेत्रों में सरकारी खर्च में वृद्धि, बैंकों में अधिशेष नकदी और राष्ट्रीय विकास के उद्देश्य से सरकार के नीतिगत सुधारों से लोलापालूजा प्रभाव पैदा होगा।"

एचएसबीसी सिक्योरिटीज के अनुसार केवल जीएसटी दरों में कटौती से उपभोक्ताओं को 1.5-2 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। वहीं आयकर में कटौती से भी 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है। शीर्ष बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती से भी 15,000 करोड़ रुपये की बचत की संभावना है।

कोविड महामारी के बाद से भारतीय उपभोक्ताओं में खर्च करने की प्रवृत्ति में काफी कमी आई है। हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी छमाही से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में थोड़ी वृद्धि होने लगी है। एचएसबीसी ने कहा कि आयकर में कटौती और जीएसटी दरों में कमी से शहरी अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

अपेक्षाकृत उच्च आय वाले लोगों और खासकर विलासिता की वस्तुएं खरीदने वालों का प्रति व्यक्ति खर्च बढ़ेगा। इसके साथ ही उनके निवेश और बचत में भी वृद्धि होगी। शोध फर्म का दावा है कि इस वर्ग के लोगों की बाजार की गतिविधियों को नियंत्रित करने में विशेष भूमिका होगी।

एलारा कैपिटल के अनुसार उपभोक्ता अपनी कुल आय का 39 प्रतिशत घरेलू खर्चों और बच्चों की शिक्षा जैसे अनिवार्य खर्चों के लिए आवंटित करते हैं। 32 प्रतिशत आवश्यक खर्चों के लिए और 29 प्रतिशत उपभोग के लिए आवंटित किया जाता है।

हालांकि एजेंसी ने कहा, 'लोलापालूजा प्रभाव' के कारण यह आंकड़ा बदल सकता है। ऐसी स्थिति में ब्रोकरेज का मानना ​​है कि अतिरिक्त मांग के कारण उपभोक्ता खर्च के लिए आवंटन 50 प्रतिशत बढ़ जाएगा। अनिवार्य खर्च 30 प्रतिशत और आवश्यक क्षेत्रों पर खर्च 20 प्रतिशत बढ़ जाएगा।

अगर उपभोक्ता मांग बढ़ती है तो फैशन, खाद्य सेवाओं और मनोरंजन क्षेत्रों में खर्च लगभग 1 प्रतिशत बढ़ सकता है। वहीं एलारा कैपिटल के करण तौरानी ने कहा कि पर्सनल केयर और अल्कोहल पर खर्च 0.5 प्रतिशत बढ़ेगा।

बाजार की इस मांग का सबसे ज्यादा फायदा क्विक सर्विस रेस्टोरेंट्स को होगा। उन्हें ग्राहकों की बढ़ती मांग और कम इनपुट लागत, दोनों का फायदा मिलेगा। ऑनलाइन ब्यूटी और पर्सनल केयर प्लेटफॉर्म नायका को इसका फायदा होगा। कंपनी के ऑनलाइन बिकने वाले 20-25 प्रतिशत ब्यूटी और पर्सनल केयर उत्पादों पर अब कम जीएसटी दर लागू होगी।

करण कहते हैं, "मुझे उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में ज्यादा मांग नहीं दिख रही है।ऐसा इसलिए कि हाथ में अतिरिक्त पैसा होने के कारण खरीदार पहले के सस्ते उत्पादों की बजाय महंगे उत्पादों का इस्तेमाल करेंगे, अगर वे बहुत महंगे हैं।"

शेयर बाजार में निवेशकों के लिए ऑटो और उपभोक्ता उपकरण सबसे पसंदीदा उत्पाद हैं, वहीं ब्रोकरेज हाउस भी एफएमसीजी उत्पादों पर दांव लगा रहे हैं। इसलिए वे ब्रिटानिया से लेकर नेस्ले जैसी कंपनियों के शेयरों पर खास जोर दे रहे हैं।

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