कुछ सूचियां ऐसी होती हैं जिनके शीर्ष पर आकर कोई भी कांटों का ताज नहीं पहनना चाहता है। विश्व असमानता (World Inequality) रिपोर्ट ऐसी ही एक सूची है। बुधवार को जारी विश्व असमानता रिपोर्ट 2026 में वह 'बदनाम' ताज भारत के सिर पर रखा गया है। आंकड़ों और उनकी सच्चाई पर बहस होती रहेगी है लेकिन सर्वे टीम ने इस रिपोर्ट में जो जानकारी दी है वह निश्चित रूप से भारत को शर्मिंदा करने वाली है।
अध्ययन में दावा किया गया है कि आय असमानता (Income Inequality) के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। इस सूची के मुताबिक शीर्ष 10 प्रतिशत लोगों के पास राष्ट्रीय आय का करीब 58 प्रतिशत हिस्सा है, वहीं सूची के सबसे नीचले 50 प्रतिशत लोगों के पास सिर्फ 15 प्रतिशत ही आय है।
सम्पत्ति के मामले में भारत की तस्वीर बहुत खराब है। अध्ययन में दावा गया है कि देश के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों के पास देश की 65 प्रतिशत दौलत है। इनमें से शीर्ष 1 प्रतिशत लोगों के पास देश की 40 प्रतिशत संपत्ति है। वहीं रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि साल 2014 और 2024 के बीच देश के टॉप 10 प्रतिशत और सबसे निचले 50 परसेंट लोगों के बीच आय का अंतर 38% से बढ़कर 38.2% हो गया है।
लेकिन इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि आय और संपत्ति के मामले में यह असमानता सिर्फ भारत में ही नहीं है। बताया गया है कि दुनिया के सबसे अमीर 0.001% लोग, जिनकी संख्या लगभग 60,000 है, उनके पास नीचे के 50% लोगों की कुल दौलत से तीन गुना ज्यादा संपत्ति है। सबसे चिंता की बात तो यह है कि सभी देशों की सरकारें इस असमानता को कम करने की बात तो कर रही हैं लेकिन असल में वर्ष 1995 में सबसे अमीर लोगों के पास मौजूद कुल संपत्ति 4% से बढ़कर वर्ष 2025 में 6% हो गई है।