नई दिल्लीः जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता और प्रमुख रणनीतिकारों में से एक पवन वर्मा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विश्व बैंक से आए उन फंडों केंद्र सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की महिला मतदाताओं में बांट दिया। ये फंड किसी अन्य परियोजना के लिए थे।
महिला मतदाताओं को 10,000 रुपये ट्रांसफर किए गएः मालूम हो कि ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत 1.25 करोड़ महिला मतदाताओं के खाते में 10,000 रुपये भेजे गए। समाचार एजेंसी ANI को दिए विशेष इंटरव्यू में पूर्व राजनयिक और प्रसिद्ध लेखक वर्मा ने कहा कि बिहार का सार्वजनिक कर्ज फिलहाल 406000 करोड़ रुपये है। प्रतिदिन 63 करोड़ रुपये ब्याज देना पड़ता है। खजाना खाली है। हमारे पास सूचना है कि महिलाओं को दिए गए 10000 रुपये विश्व बैंक से आए 21000 करोड़ रुपये में से दिए गए। यह किसी अन्य परियोजना के लिए थे। आचार संहिता लागू होने से एक घंटे पहले 14000 करोड़ रुपये निकालकर 1 करोड़ 25 लाख महिलाओं में बांटे गए। हालांकि उन्होंने कहा कि यह आरोप सही भी हो सकता है और गलत भी। गलत हो तो क्षमा चाहता हूं, सही हो तो नैतिक सवाल उठता है। कानूनी रूप से शायद कुछ न किया जा सके क्योंकि सरकार फंड को डायवर्ट कर सकती है और बाद में सफाई दे सकती है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु सहित कई अन्य भाजपा शासित राज्यों में चुनाव आने वाले हैं।
अफवाह थी कि एनडीए नहीं आया तो बाकी पैसे नहीं मिलेंगेः पवन वर्मा ने बताया कि बिहार में यह अफवाह भी फैली कि यदि एनडीए को वोट नहीं मिला तो बाकी राशि नहीं मिलेगी। बिहार में चार करोड़ महिला मतदाता हैं, जिनमें से ढाई करोड़ को पैसा नहीं मिला। उन्हें लगा कि एनडीए नहीं जीता तो लाभ नहीं मिलेगा।
शराबबंदी हटाने के वादे को हार का कारण मानने से इंकारः उन्होंने इस बात को खारिज किया कि प्रशांत किशोर के शराबबंदी हटाने के वादे से पार्टी को नुकसान हुआ। वर्मा ने कहा कि शराबबंदी प्रभावी रूप से लागू ही नहीं है क्योंकि शराब खुलेआम और घरों तक पहुंचाकर बेची जा रही है। अगर शराबबंदी वास्तव में लागू होती तो इसे हटाने का मुद्दा बनता। शराब महंगे दामों पर बिक रही है। लोग पी रहे हैं और ज्यादा पैसा दे रहे हैं।
नकली शराबबंदी में 2 लाख से अधिक गरीब दलित जेल मेंः वर्मा ने कहा कि शराबबंदी कानून के नाम पर फर्जी मामलों में अत्यंत पिछड़े वर्गों के 2 लाख से अधिक लोग जेलों में बंद हैं, जिनके पास जमानत भरने के पैसे भी नहीं हैं। अत्यंत पिछड़े वर्गों के लोग शराबबंदी कानून में जेल में हैं, जिनके पास जमानत भरने तक के पैसे नहीं हैं। हमारी हार की वजह वही थी महिलाओं के लिए नीतीश जी की नीति और आखिरी समय में 10000 रुपये का ट्रांसफर।
कांग्रेस का ज़मीनी संगठन ढह चुका हैः वर्मा ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन से वे जरा भी हैरान नहीं हैं क्योंकि पार्टी की महत्वाकांक्षाएँ उसकी वास्तविक चुनावी क्षमता से कहीं अधिक हैं। वे यह बुनियादी बात नहीं समझते कि बिना नींव के घर की पहली मंज़िल नहीं बन सकती। कांग्रेस का ज़मीनी संगठन लगभग ढह चुका है। बिहार में वे लगभग न के बराबर थे।
जन सुराज को चुनाव में बड़ा झटकाः चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर द्वारा बनाई गई नई जन सुराज पार्टी को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भारी झटका लगा। 243 सीटों में से लगभग सभी पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई।