पटना:बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू किसी और को मुख्यमंत्री मानने को तैयार नहीं है। शनिवार को पटना में नीतीश कुमार के आवास पर लगभग 40 मिनट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह मीडिया से कहते नजर आए कि बिहार के मुख्यमंत्री का पद खाली नहीं है।
इसका साफ संदेश है कि बिहार के मुख्यमंत्री पद पर सिर्फ नीतीश कुमार ही पार्टी के लिए स्वीकार्य हैं। नीतीश के नेतृत्व में ही बिहार में एनडीए चुनाव लड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान इसे कई बार दोहराया। लेकिन भाजपा ने कभी नीतीश को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया। शुक्रवार को चुनाव परिणाम आने के बाद भी मुख्यमंत्री पद पर कोई बयान मोदी या शाह की ओर से नहीं आया। नीतीश भी चुप हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ललन सिंह का यह बयान मूलतः भाजपा की शीर्ष नेतृत्व को संदेश देने के लिए है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भाजपा के शीर्ष नेता बिहार चुनाव में 89 सीटें जीतने के बावजूद मुख्यमंत्री पद से नीतीश को हटाने की योजना न बनाएं, ललन ने यह साफ संकेत दिया।
एनडीए की शानदार सफलता के 24 घंटे बाद भी गठबंधन की ओर से कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिल्ली से पटना नहीं आए और न ही उन्होंने नीतीश को दसवीं बार मुख्यमंत्री बनाने का संकेत दिया। इस कारण यह सवाल उठ रहा है कि कहीं भाजपा महाराष्ट्र फॉर्मूला लागू कर तो नहीं रही। 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे की अगुवाई में एनडीए ने लड़ाई लड़ी थी लेकिन अंततः मुख्यमंत्री पद देवेंद्र फड़नवीस को मिला। बिहार में भी ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है।
इसलिए जेडीयू पार्टी 85 सीट जीतने के बावजूद सतर्क है। सूत्रों के अनुसार नीतीश खुद स्थिति का आकलन कर रहे हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद उन्होंने कोई बयान नहीं दिया। उनकी यह चुप्पी संभावित युद्ध की तैयारी के रूप में देखी जा रही है। 74 वर्षीय नीतीश का राजनीतिक इतिहास बताता है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी बनाए रखने के लिए वे गठबंधन बदलने के बारे में दो बार नहीं सोचते।
नीतीश के इस चुप्पी को उनकी पार्टी संभावित संघर्ष की तैयारी मान रही है। इसी माह सुबह पटना में केंद्रीय मंत्री और लोजपा (राम विलास) नेता चिराग पासवान ने नीतीश से मुलाकात की। अपने 29 में से 19 सीट जीतने पर खुशी में चिराग ने नीतीश को उत्तरीय पहनाकर सम्मानित किया। चुनाव से पहले चिराग ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए थे और माना जाता था कि नीतीश और चिराग के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं। लेकिन इस दिन चिराग ने मीडिया से कहा कि नीतीश को ही बिहार का मुख्यमंत्री होना चाहिए।
हालांकि गठबंधन साथी कुछ भी कहें, भाजपा को डर है। इसलिए जब तक मुख्यमंत्री पद पर नीतीश का नाम घोषित नहीं होता, पार्टी में शांति नहीं है। बिहार विधानसभा में 243 सीटों पर सरकार बनाने के लिए 122 का जादुई आंकड़ा चाहिए। भाजपा या आरजेडी किसी को एकल बहुमत नहीं मिला। सूत्रों के अनुसार 89 सीट जीतने के आधार पर भाजपा अपने लोगों को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर सकती है। अगर नीतीश राजी नहीं होते तो जदयू के कुछ विधायक और लोजपा तथा अन्य सहयोगी दल मिलकर सरकार बना सकते हैं।
बिहार की वर्तमान सरकार का कार्यकाल 22 नवम्बर को समाप्त हो रहा है। इसलिए सरकार गठन और मुख्यमंत्री की शपथ लेने की प्रक्रिया 2-3 दिन में शुरू होनी चाहिए। फिलहाल बिहार में राजनीतिक हलचल से पहले सन्नाटा सा है।