एई समय : रात जागकर पढ़ाई, तनाव, खाना-पीना भूलकर तैयारी - परीक्षा का खत्म होना जैसे जेल से छूटना। बड़े-बुजुर्गों का कहना भी है, 'परीक्षा खत्म यानी पंख निकल आना।' परीक्षा खत्म होने पर थोड़ा ज्यादा खेल-कूद, दोस्तों के साथ गप्पे मारना, टीवी देखना- इन सबकी छूट मिलती है। लेकिन 'छुट्टी' मनाने का जश्न कितना अनियंत्रित, खतरनाक हो सकता है! ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। घटना मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर की है।
मुर्शिदाबाद के जंगीपुर में उमरपुर इलाके में 12 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग पर तूफान की रफ्तार से दो स्कॉर्पियो दौड़ रही हैं। गाड़ी के अंदर कुछ छात्र हैं, लेकिन कई छात्र रोमांच को अनुभव करने के लिए गाड़ी से बाहर लटक रहे हैं। गाड़ी के अंदर साउंड बॉक्स में जोर-जोर से गाना बज रहा है। कुछ छात्र खिड़की से शरीर का आधा हिस्सा बाहर निकालकर लटक रहे हैं। गाड़ी का पिछला दरवाजा खुला है, वहां खड़े होकर गाने की धुन पर कुछ छात्र नाच रहे हैं।
इस तरह से गाड़ियों को दौड़ते देखकर ही स्थानीय लोग डर गए। जानकारी मिली है कि गाड़ियां जंगीपुर रघुनाथगंज की तरफ से फरक्का की ओर जा रही थीं। 12वीं कक्षा के दूसरे सेमेस्टर की अंतिम परीक्षा उस दिन थी। छात्र परीक्षा खत्म होने पर इस तरह से 'सेलिब्रेट' कर रहे थे। सभी एक स्थानीय निजी स्कूल के छात्र बताए जा रहे हैं।
एक स्थानीय निवासी का कहना है कि परीक्षा के बाद खुशी मनाना गलत नहीं है। लेकिन इस तरह से सड़क पर लापरवाही से चलना तो जान का खतरा हो सकता है। वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो देखकर कई लोगों ने कड़ी आलोचना की। कमेंट बॉक्स में लिखा रिजल्ट अच्छा नहीं आया तो जिम्मेदारी कौन लेगा? यह शिक्षा हमें किस दिशा में ले जा रही है?
जंगीपुर पुलिस ने सोशल मीडिया पर वह वीडियो देखकर दोनों गाड़ियों के मालिकों के खिलाफ पहले ही नोटिस जारी कर दिया है। जंगीपुर पुलिस के जिला अधीक्षक अमित कुमार साउ ने कहा कि हमने उस वायरल वीडियो को सोशल मीडिया पर देखकर दोनों गाड़ियों के मालिकों को नोटिस भेजा है। स्कूल प्रशासन को भी सावधान किया गया है।
इस मामले पर संबंधित स्कूल प्रशासन ने कुछ कहने से इनकार कर दिया। लालगोला लस्करपुर हाई स्कूल के प्रधानाचार्य जहांगीर आलम का कहना है कि अंतिम परीक्षा के दिन परीक्षार्थियों में इस तरह के अनियंत्रित व्यवहार की प्रवृत्ति देखी जा रही है। यह बहुत खतरनाक है। इसका कारण छात्र-छात्राओं में आदर्शों की कमी है। आदर्शों की शिक्षा जैसे परिवार से मिलती है, वैसे ही विद्यालय से भी मिलती है।