जादवपुर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में बाहरी लोगों के प्रवेश करने की शिकायतें लंबे समय से चली आ रही है। इस समस्या को अब पूरी तरह से खत्म करने के लिए अधिकारियों ने एक पहल की है। खासतौर पर अगस्त 2023 में यूनिवर्सिटी के मेन हॉस्टल में पहले वर्ष के छात्र की रैगिंग और इस वजह से हुई उसकी दुखद मौत के बाद से, प्रबंधन ने इस दिशा में कड़ा रुख अपनाया है। अधिकारियों का मानना है कि हॉस्टल में बाहरी लोगों का गैर-कानूनी तरीके से रहने की वजह से ही रैगिंग जैसी घटनाएं घटती हैं।
सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही हर हॉस्टल के प्रवेश द्वारा पर एक डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाएगा। इस बोर्ड पर रूम नंबर और कमरे में रहने वाले आधिकारिक बोर्डर्स का नाम समेत अन्य जानकारियां प्रदर्शित की जाएंगी। बताया जाता है कि हॉस्टल का जो कमरे खाली होगा वह रूम नंबर भी लिखा रहेगा। अधिकारियों का मानना है कि इससे छात्रों के साथ-साथ सुरक्षाकर्मियों को भी यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन कानूनी तौर पर किस कमरे में रह रहा है और कौन गैर-कानूनी तरीके से रहता है।
बताया जाता है कि इस फैसले के पीछे यूनिवर्सटी के आचार्य और राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की भी मुख्य भूमिका रही है। यूनिवर्सिटी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्यपाल ने जादवपुर प्रशासन को पत्र लिखकर हॉस्टल में बिना इजाजत रहने वाले लोगों का पता लगाने और उन्हें तुरंत इस बाबत रिपोर्ट देने को कहा है।
यह भी बताया गया कि जरूरत पड़ने पर राज्यपाल खुद हॉस्टल जाकर जांच कर सकते हैं। राज्यपाल का आदेश मिलते ही यूनिवर्सिटी प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। संभावना जतायी जा रही है कि डिस्प्ले बोर्ड को शायद इसी माह लगा दिया जाएगा।
यूनिवर्सिटी के एक अध्यापक ने बताया कि साल 2023 में रैगिंग की घटना के बाद मेन हॉस्टल में बाहरी लोगों की संख्या कुछ कम हुई है लेकिन यह अभी भी एक समस्या है। अध्यापकों का कहना है कि यह हॉस्टल यूनिवर्सिटी परिसर का केंद्र है। लेकिन कुछ पुराने छात्रों के लिए 'गैर-कानूनी ठिकाना' बन गए हैं। हाल ही में अधिकारियों को पता चला कि मेन हॉस्टल के दो कमरों में 'बाहरी लोग' नियमित रूप से रह रहे हैं।
इस समस्या को खत्म करने के लिए डिस्प्ले बोर्ड लगाने की योजना बनायी गयी है। एक अधिकारी ने बताया कि हर हॉस्टल के प्रवेश के पास एक बोर्ड लगाया जाएगा। इस पर रूम नंबर और उसके आधिकारिक निवासी का नाम लिखा होंगे। साथ ही बोर्ड पर खाली कमरों की जानकारी भी दी जाएगी। हॉस्टल सुपरिटेंडेंट को जानकारी इकट्ठा करने के निर्देश पहले ही दे दिए गए हैं। हर कमरे की हालत भी जांची जाने लगी है।
बार-बार शिकायतें आ रही हैं कि हॉस्टल में रहने वाले छात्र अपने 'गेस्ट' को रखने के लिए हॉस्टल सुपरिटेंडेंट से अनुमति नहीं लेते हैं। अधिकारियों ने इस बार भी इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। ऐसे मामलों में पहली बार सख्त चेतावनी दी जाएगी। लेकिन अगर वहीं छात्र बार-बार बिना अनुमति के 'बाहरी लोगों' को मेहमान बनाकर हॉस्टल में लाता रहा तो उसे हॉस्टल से निकाला भी जा सकता है। यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसर ने सुरक्षा प्रणाली की कमजोरी पर भी सवाल उठाया है।
एक प्रोफेसर का कहना है कि परिसर के अंदर के हॉस्टल में स्थायी सुरक्षाकर्मी है। इसलिए वहां बाहरी लोगों का आना-जाना कम होता है। लेकिन मेन हॉस्टल में सुरक्षाकर्मी रोस्टर ड्यूटी पर होते हैं। इस वजह से वे हॉस्टल में रहने वाले छात्रों और वहां आने वाले बाहरी लोगों के बीच फर्क नहीं कर पाते हैं। प्रोफेसरों का मानना है कि स्थायी सुरक्षा कर्मी की कमी ही इस समस्या को खत्म करने में सबसे बड़ी रुकावट है।
गौरतलब है कि अगस्त 2023 में रैगिंग से पहले वर्ष के छात्र की मौत के के बाद यूनिवर्सिटी के आंतरिक जांच पैनल को पता चला कि उस समय मेन हॉस्टल में करीब 25 पुराने छात्र गैर-कानूनी तरीके से रह रहे थे। उनमें से कई को बाद में गिरफ्तार भी कर लिया गया था जो अभी भी जेल में हैं। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि क्या जादवपुर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में डिस्प्ले बोर्ड लगाकर और सख्त नियम लाकर क्या इस समस्या को जड़ से उखाड़ सकेंगे?