जयपुर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने रविवार को अरावली मुद्दे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोला और आरोप लगाया कि अरावली के मुद्दे पर अशोक गहलोत सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताने के बहाने लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। सरकार अरावली पर्वत श्रृंखला की सुरक्षा के लिए पहले से ही प्रतिबद्ध है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2002 में तय की गई अरावली की परिभाषा पर आधारित है, जिसे गहलोत सरकार की कैबिनेट ने 1968 के भूमि अभिलेखों को आधार बनाकर मंजूरी दी थी। गहलोत के कार्यकाल के दौरान ही 700 से अधिक टेंडर जारी किए गए थे। मेरा मानना है कि जब सच्चाई सामने आएगी तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार अरावली पर्वत श्रृंखला पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने, भूजल रिचार्ज करने और जैव विविधता को सहारा देने में अहम भूमिका निभाती है। पर्यावरणविदों का कहना है कि केंद्र सरकार की सिफारिश को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से अपूरणीय क्षति हो सकती है और अरावली क्षेत्र का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा खनन के खतरे में आ सकता है। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए #SaveAravalli अभियान के समर्थन में अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल तस्वीर बदली और अरावली की परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग की ताकि इस पर्वत श्रृंखला की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अरावली पर्वत श्रृंखला राजस्थान के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह कृषि, जैव विविधता और जल सुरक्षा को सहारा देती है। अरावली केवल एक प्राकृतिक अवरोध नहीं है बल्कि यह चंबल और साबरमती जैसी प्रमुख नदियों का स्रोत भी है, जो कृषि और आजीविका को सहारा देती हैं। इसके विनाश से क्षेत्रीय वर्षा पैटर्न में बदलाव आ सकता है, जिससे राजस्थान की जलवायु पर गंभीर असर पड़ सकता है।