पालक्काड: केरल के मंत्री एमबी राजेश ने सोमवार को छत्तीसगढ़ से आए एक प्रवासी मजदूर की मॉब लिंचिंग की घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने बताया कि इस मामले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से चार संघ परिवार के कार्यकर्ता हैं। एएनआई से बातचीत में मंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर देश में नफरत फैलाने की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह संघ परिवार द्वारा पूरे देश में फैलाए जा रहे नफरत की राजनीति का शिकार हुआ है। उसे बांग्लादेशी होने का आरोप लगाकर भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला।
अपने बयान में एमबी राजेश ने यह भी आरोप लगाया कि गिरफ्तार किए गए चारों संघ परिवार कार्यकर्ताओं के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें एक सीपीआई(एम) नेता की हत्या के प्रयास का मामला भी शामिल है। इस बीच जिला पुलिस प्रमुख अजीत कुमार ने गिरफ्तारी और जांच की प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने एएनआई को बताया कि छत्तीसगढ़ से आए एक व्यक्ति पर कुछ लोगों के समूह ने हमला किया। इस संबंध में हत्या का मामला दर्ज किया गया है और पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्य अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। मामले की आगे जांच जारी है।
पुलिस प्रमुख ने यह भी कहा कि इस मामले में और लोगों की संलिप्तता की संभावना है और सभी दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी संभावना है कि इसमें और आरोपी शामिल हों। केरल मंत्री के आरोप ऐसे समय में सामने आए हैं, जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता में आयोजित आरएसएस 100 व्याख्यान माला कार्यक्रम में कहा था कि संगठन कट्टर राष्ट्रवादी है।
भागवत ने कहा कि आरएसएस का हमेशा से यह मत रहा है कि भारत अपनी संस्कृति और बहुसंख्यक आबादी की हिंदू पहचान के कारण एक हिंदू राष्ट्र है। धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान की मूल प्रस्तावना में नहीं था बल्कि 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन के जरिए ‘समाजवादी’ शब्द के साथ जोड़ा गया। आरएसएस प्रमुख ने लोगों से संगठन के कार्यालयों और शाखाओं में जाकर उसके काम को समझने की अपील की ताकि संगठन को मुस्लिम विरोधी मानने की गलत धारणा दूर हो सके। उन्होंने कहा कि लोग अब समझ चुके हैं कि आरएसएस हिंदुओं की सुरक्षा की बात करता है और कट्टर राष्ट्रवादी है लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं।