महाराष्ट्र के खेल मंत्री और एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नासिक की एक सत्र अदालत ने 1995 के धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में उनकी दो साल की जेल की सजा को बरकरार रखा है। इसके साथ ही नासिक अदालत ने कोकाटे के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी जारी कर दिया है।
मंत्री ने खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा
इस फैसले के खिलाफ कोकाटे ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है। मामले में कोकाटे के वकील अनिकेत निकम ने जस्टिस आर. एन. लड्ढा की सिंगल बेंच के सामने याचिका का जिक्र किया और तुरंत सुनवाई की मांग की। कोर्ट ने इसे शुक्रवार को सुनवाई के लिए लिस्ट किया। हालांकि, निकम ने बुधवार को सजा पर रोक लगाने की मांग नहीं की, इसलिए इस संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया गया। उन्होंने हाई कोर्ट में बताया कि कोकाटे अपना मंत्रालय खोने वाले थे और नासिक सत्र अदालत, जिसने मजिस्ट्रेट कोर्ट के सजा के आदेश को बरकरार रखा था, उसने सजा पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने कहा कि वह शुक्रवार को सजा को निलंबित करने के लिए कोकाटे की याचिका पर विचार करेगा।
मामले में नासिक कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोकाटे ने एक समृद्ध किसान होने के बावजूद बेईमानी से खुद को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का बताकर राज्य सरकार को गुमराह किया और मुख्यमंत्री कोटे से गरीबों के लिए आरक्षित फ्लैट हासिल किए। इस फैसले के खिलाफ कोकाटे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील दायर की है, जिस पर जस्टिस आर. एन. लड्ढा की बेंच शुक्रवार, 19 दिसंबर को सुनवाई करेगी।
कोर्ट ने सजा रखा बरकरार
इस साल 20 फरवरी में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे को दोषी ठहराया था। राज्य सरकार के कोटे के तहत फ्लैट प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने के मामले में दोनों को दो साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। जिसे अब नासिक जिला और सत्र न्यायालय के न्यायाधीश पीएम बदर ने मंगलवार को मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा मंत्री कोकाटे को दी गई जेल की सजा को बरकरार रखा।
क्या है मामला ?
जिस मामले ने आज एक मंत्री की कुर्सी हिला दी है, वह 30 साल पुराना मामला है। मामला नासिक के कनाडा कॉर्नर इलाके का है। माणिकराव कोकाटे पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए मुख्यमंत्री कोटे से निम्न आय वर्ग के लिए आरक्षित फ्लैट हासिल किया। यह फ्लैट गरीबों के लिए था, जिनकी वार्षिक आय 30,000 रुपये से अधिक नहीं थी, लेकिन कोकाटे ने झूठे हलफनामे जमा करके इसे हथिया लिया। उन्होंने अकेले यह काम नहीं किया। इसमें उनके भाई विजय कोकाटे भी शामिल थे।