दिसपुर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम के नागांव जिले में बाटाद्रवा सांस्कृतिक परियोजना का उद्घाटन किया और साथ ही भारत रत्न गोपीनाथ बोरडोलोई की विरासत को याद किया। उन्होंने कहा कि अगर उनके प्रयास न होते तो असम और पूरा उत्तर-पूर्व भारत वर्तमान समय में भारत का हिस्सा नहीं रहते। शाह ने कहा आज मैं भारत रत्न गोपीनाथ जी को याद करना चाहता हूँ। अगर वह नहीं होते, तो आज असम और पूरे उत्तर-पूर्व भारत भारत का हिस्सा नहीं होते। गोपीनाथ जी ने ही जवाहरलाल नेहरू को असम भारत में रखने के लिए मजबूर किया।
उन्होंने बाटाद्रवा स्थान के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर देते हुए इसे असम समाज में एकता और सद्भाव का प्रतीक बताया। शाह ने कहा कि यह सिर्फ पूजा स्थल नहीं है बल्कि असमिया सामंजस्य का जीवंत प्रतीक है। सभी समुदाय यहाँ नव-वैष्णव धर्म को आगे बढ़ाने आते हैं।
असम सरकार द्वारा विकसित यह परियोजना 162 बीघा भूमि पर फैली है और इसे लगभग 217 करोड़ रुपये की लागत से विश्व स्तरीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल बनाने का प्रयास किया गया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि यह पहल असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और श्रीमंत शंकरदेव के आदर्शों को बढ़ावा देने में मदद करेगी। परियोजना में पारंपरिक असमिया सौंदर्यशास्त्र और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का मिश्रण किया गया है।
इस परियोजना की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं: दुनिया का सबसे ऊँचा गुरु आसन, सत्रिया संस्कृति से प्रेरित गेस्ट हाउस, पारंपरिक झांझ सिंबल के आकार में कला केंद्र ढोल के आकार में शोध केंद्र, नाव के आकार में कौशल विकास केंद्र और पारंपरिक असमिया झापी के डिज़ाइन पर आधारित थिएटर।
दिन की शुरुआत में मुख्यमंत्री शर्मा ने शाह का बाटाद्रवा में स्वागत किया और ट्वीट किया कि गृह मंत्री का स्वागत गमुसा, मुखा मास्क की प्रतिकृति और पवित्र गुरु आसन के चित्र के साथ किया गया। बताया गया है कि बाटाद्रवा सांस्कृतिक परियोजना आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी और श्रीमंत शंकरदेव के भक्ति, समानता और सामाजिक सद्भाव के संदेश को हमेशा जीवित रखने का कार्य करेगी।