प्रीमेच्योर बेबी होने के कारण उसकी दृष्टि प्रभावित हो गई थी। बाद में कई इलाजों के बाद सिमरन ने कुछ दृष्टि शक्ति वापस पाई।
अब 25 वर्ष की उम्र में वह 7 मीटर से अधिक दूरी नहीं देख पाते। यही सिमरन हैं जिन्हें विश्व पैरा एथलेटिक्स में भारत के सर्वश्रेष्ठ एथलीट का सम्मान मिला। टी-12 वर्ग की 100 मीटर रेस में स्वर्ण जीतने के बाद रविवार को 200 मीटर में एशियाई रिकॉर्ड तोड़ने पर उन्होंने कांस्य पदक भी प्राप्त किया।
रविवार को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 9 दिन का विश्व पैराथलेटिक्स खत्म हुआ। देश में पहली बार आयोजित होने वाले विश्व समारोह में भारत के पैराथलीट्स ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 6 स्वर्ण, 9 रजत और 7 कांस्य सहित कुल 22 पदक जीते। पदक तालिका में भारत ने 10वें स्थान पर कब्जा किया। 15 स्वर्ण सहित कुल 44 पदकों के साथ ब्राज़ील शीर्ष पर रहा।
सिमरन की तरह पदक की जोड़ी प्रीति पाल की है। उन्होंने महिलाओं की टी-35 श्रेणी में 100 मीटर में रजत और 200 मीटर में कांस्य पदक जीता। सिमरन के अलावा बाकी 5 स्वर्ण पदक जीतने वाले हैं—निषाद कुमार (टी-47 में हाई जंप), सुमित अंतिल (F-64 में जावलीन थ्रो), संदीप संजय सागर (F-44 में जावलीन थ्रो), शैलेश कुमार (टी-63 में हाई जंप)।
सिमरन ने मीडिया से कहा, 'जन्म के बाद बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। आँखों से थोड़ा सा देख पाना भी बहुत बाद में शुरू हुआ। इसके बावजूद मेरे माता-पिता ने मुझे बचपन में साइ में दाखिला दिलाया लेकिन मेरा अंतरराष्ट्रीय एथलीट बनने का सपना मेरे पति गजेंद्र सिंह ने पूरा किया।'
सेनानिवृत्त गजेंद्र की कोचिंग में पिछले सात वर्षों से सिमरन ने खुद को एक स्प्रिंटर के रूप में तैयार किया है। पेरिस पैरालंपिक्स में उन्होंने 200 मीटर में ब्रॉन्ज हासिल किया। पिछले विश्व प्रतियोगिता में 200 मीटर में उन्होंने सोना जीता था। इस बार 200 मीटर में सोना खोने के बावजूद उन्होंने 100 मीटर में सोना जीतकर लाए।