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बैठकें और चर्चाएँ हो रही हैं लेकिन समय खत्म होता जा रहा है - ISL को लेकर बोले सौविक चक्रवर्ती

पुरुषों के फुटबॉल में इस समय कोई भी शीर्ष स्तर की लीग नहीं चल रही है।

By नवीन पाल, Posted by: रजनीश प्रसाद

Dec 31, 2025 17:44 IST

कोलकाताः भारत में फुटबॉल लगभग ठप पड़ा है। पुरुषों के क्लब फुटबॉल की शुरुआत कब होगी यह कोई नहीं जानता। कहने को केवल बंगाल सुपर लीग और महिलाओं की IWL ही हो रही हैं। बाकी प्रतियोगिताओं का भविष्य सवालों के घेरे में है। थोड़ी उम्मीद जरूर जगी है लेकिन अब तक कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है। इस कठिन हालात में टीमों को चलाना मैनेजमेंट के लिए बेहद मुश्किल हो गया है। सीनियर फुटबॉल के साथ साथ जूनियर फुटबॉल भी अनिश्चितता में है। ऐसे समय में भारतीय फुटबॉल की मौजूदा स्थिति पर ईस्ट बंगाल के मिडफील्डर सौविक चक्रवर्ती ने खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपना संदेश दिया।

ISL और आई लीग के न होने से भारतीय फुटबॉल को नुकसान हो रहा है यह सभी जानते हैं लेकिन इस नुकसान का असर किन पर सबसे ज्यादा पड़ेगा। इसे सौविक के शब्दों में साफ तौर पर देखा जा सकता है। उन्होंने लिखा है कि हजारों जिंदगियाँ स्थायी रूप से प्रभावित होंगी। यह सिर्फ खिलाड़ियों की बात नहीं है। भारतीय फुटबॉल से जुड़े बहुत से लोगों के पास न तो कोई बचत है न ही लंबे समय का अनुबंध और न ही कोई वैकल्पिक रास्ता। वे महीने के अंत में मिलने वाली तनख्वाह पर निर्भर रहते हैं। वही तनख्वाह उनके जीवन का एकमात्र सहारा है। जब वेतन रुक जाता है तो जिदगी भी ठहर जाती है।

आम तौर पर समर्थक किसी टीम के मामले में सबसे पहले खिलाड़ियों, कोच और मैनेजमेंट को देखते हैं लेकिन इस बड़े सिस्टम के पीछे कई और लोग भी जुड़े होते हैं जैसे सपोर्ट स्टाफ, फिजियो, विश्लेषक, मीडिया टीम, किट मैनेजर, ग्राउंड स्टाफ, ड्राइवर, ऑपरेशंस टीम, विक्रेता और स्थानीय साझेदार। एक मैच रद्द होना या किसी टूर्नामेंट को लेकर अनिश्चितता इन सभी को प्रभावित करती है।

सौविक ने आगे लिखा है कि अक्सर फैसलों पर ऐसे चर्चा होती है जैसे वे मेज पर रखी फाइलें हों लेकिन हर देरी हर खामोशी और हर स्थगित सत्र के पीछे ऐसे असली लोग हैं जो बिना किसी स्पष्ट दिशा बिना आय और अपने परिवार को देने के लिए किसी जवाब के बिना घर पर बैठे हैं। बैठकें हो रही हैं चर्चाएँ चल रही हैं लेकिन समय तेजी से निकलता जा रहा है।

इस बीच ISL में मुंबई सिटी एफसी की मालिकाना हिस्सेदारी से सिटी ग्रुप पहले ही बाहर हो चुका है। दुनिया के सबसे बड़े फुटबॉल समूहों में से एक का भारतीय फुटबॉल में निवेश उम्मीद की किरण लेकर आया था लेकिन उनके हटने से वह उम्मीद भी खत्म हो गई। हाल ही में ओडिशा एफसी के एक शीर्ष अधिकारी ने इस्तीफा दिया है। एफसी गोवा से बोरखा हेरेरा के जाने के दौरान भी भारतीय फुटबॉल की कठिन स्थिति पर सवाल उठे थे। कई क्लबों में वेतन भुगतान बंद है। सौविक का कहना है कि अगर यह हालात बने रहे तो क्लब मालिक भी पीछे हटेंगे और कई लोग अपनी नौकरियाँ खो देंगे। इससे होने वाला नुकसान कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा।

अंत में सौविक चक्रवर्ती ने अपील की कि हालात की गंभीरता को समझते हुए ISL और आई लीग को दोबारा शुरू करने में अब और देरी न की जाए।

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