नयी दिल्लीः विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप 2025 में भारत ने इतिहास रच दिया है। यह गौरव हरियाणा की जैस्मीन लांबोरिया ने दिलाया, जिन्होंने भारत के लिए इस प्रतियोगिता का पहला स्वर्ण पदक जीता। इंग्लैंड के लिवरपूल में खेले गए 57 किलो भार वर्ग के फाइनल में जैस्मीन ने पोलैंड की जूलिया जेरेमेता को 4-1 के अंतर से हराया।
पोलैंड की जूलिया जेरेमेता वही खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 2024 पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीता था। ऐसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हराकर जैस्मीन की यह जीत और भी ऐतिहासिक बन गई। जैस्मीन के हाथों ही भारत ने विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर नया अध्याय लिखा। अपनी इस ऐतिहासिक जीत के बाद जैस्मीन ने ओलंपिक्स डॉट कॉम से कहा कि यह अनुभूति शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती। विश्व चैम्पियन बनने पर मैं बहुत खुश हूं। पेरिस 2024 से बाहर होने के बाद मैंने खुद को और बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। पिछले एक वर्ष की मेहनत का यह फल मिला है।
जैस्मीन लांबोरिया का जन्म 30 अगस्त 2001 को हरियाणा के भिवानी में हुआ। उनके पिता जयवीर लांबोरिया अनुबंध आधारित होम गार्ड के रूप में कार्यरत हैं, जबकि उनकी मां योगिंदर कौर घर की सभी जिम्मेदारियां संभालती हैं। जैस्मीन की एक छोटी बहन हैं, जो फिजियोथेरेपिस्ट हैं।
खेल की विरासत जैस्मीन को अपने परिवार से ही मिली है। उनके परदादा होवा सिंह हेवीवेट मुक्केबाज थे और उन्होंने एशियन गेम्स में दो बार स्वर्ण पदक जीते थे। उनके दादा चंदर भान लांबोरिया पहलवान थे। जैस्मीन को उनके चाचा संदीप सिंह और परविंदर सिंह ने प्रशिक्षित किया, जो स्वयं भी अखिल भारतीय स्तर पर खेल चुके हैं। जैस्मीन ने 2022 में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में लाइट वेट श्रेणी में कांस्य पदक जीता था। लेकिन इस बार उन्होंने 57 किलो भार वर्ग में उतरकर स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया।