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‘बापू’ का नाम मिटाने की दिशा में एक और कदम! भारी हंगामे के बीच लोकसभा में G Ram G बिल पारित

ग्रामीण रोजगार परियोजना को ‘राम’ के नाम से करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए विपक्ष का तीखा विरोध।

By एलिना दत्त, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Dec 18, 2025 19:17 IST

नयी दिल्लीः लोकसभा में ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’, यानी G Ram G बिल पारित हो गया। भारी शोर-शराबे के बीच विपक्षी सांसदों ने गुस्से में बिल की प्रतियां फाड़ दीं। तीखे हंगामे और नारेबाजी के चलते लोकसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि उनकी राय की अनदेखी करते हुए मनरेगा (MGNREGA) परियोजना की जगह यह नया प्रकल्प लाया गया है।

शुक्रवार शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन है। उससे पहले आज यानी गुरुवार को सत्तापक्ष का जी राम जी बिल को पारित कराने के लिए आक्रामक रुख अपनाना अपेक्षित ही था। इसी कारण विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद भगवा खेमे ने संसद में ग्रामीण रोजगार परियोजना से जुड़ा यह नया विधेयक पारित करा लिया।

जानकारी के अनुसार सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने इस विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग की। विपक्षी दलों के नेता वेल में उतरकर विरोध करने लगे। हालांकि स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इस कानून पर लंबी चर्चा हो चुकी है। इसके बाद विधेयक पारित कर दिया गया।

शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही मनरेगा परियोजना का नाम बदलने को लेकर बहस चल रही थी। 100 दिन के काम यानी मनरेगा को केंद्र सरकार एक नए स्वरूप में पेश करने जा रही है। यही है ‘जी राम जी’ बिल। केवल नाम ही नहीं, ग्रामीण रोजगार परियोजना की पूरी संरचना में बदलाव को लेकर भी विपक्ष मुखर है। विपक्ष का कहना है कि इस तरह महात्मा गांधी का नाम हटाना राष्ट्रपिता का अपमान है। इसके अलावा उनका आरोप है कि यह विधेयक संघीय ढांचे के खिलाफ है और राज्यों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा। हालांकि, इस विधेयक में 100 दिन के काम की जगह 125 दिन के काम की गारंटी दी गई है यानी मजदूरों को 25 दिन की अतिरिक्त मजदूरी मिलेगी। साथ ही 15 दिन के बजाय साप्ताहिक आधार पर मजदूरी भुगतान का भी प्रावधान किया गया है।

विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक के पक्ष में तर्क रखते हुए कांग्रेस पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा,“कांग्रेस ने केवल नेहरू के नाम पर कानूनों का नामकरण किया और अब उलटे एनडीए सरकार पर सवाल उठा रही है।”

उन्होंने आगे कहा, “2009 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी का नाम NREGA में जोड़ा गया था। शुरुआत में यह केवल NREGA था और बिल में महात्मा गांधी का नाम शामिल नहीं था। बाद में जब 2009 में चुनाव आए तब वोट पाने के लिए कांग्रेस को बापू की याद आई। मैं कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने मनरेगा को सही और दृढ़ता से लागू किया। कांग्रेस ने वास्तव में बापू के आदर्शों की हत्या की है। एनडीए सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत मिशन और आयुष्मान भारत के तहत बने पक्के घरों के जरिए बापू के नाम को गौरवान्वित किया है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि मनरेगा भ्रष्टाचार का एक औजार बन चुका है और जोर देकर कहा कि सभी हितधारकों से चर्चा के बाद ही यह नया कानून लाया गया है।

इसके बाद विपक्षी सांसद वेल में उतर आए और विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनमें से कुछ ने बिल की प्रतियां फाड़कर स्पीकर की कुर्सी की ओर फेंक दीं। इस पर नाराजगी जताते हुए स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “जनता ने आपको यहां कागज फाड़ने के लिए नहीं भेजा है। पूरा देश आपको देख रहा है।” इसके बाद विधेयक पारित होने के पश्चात स्पीकर ने पूरे दिन के लिए लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी।

संसदीय सूत्रों के अनुसार लोकसभा में यह बिल पारित होने के बाद सरकार आज ही इसे राज्यसभा से भी पारित कराने के लिए प्रयासरत है। इस पर तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ने कहा, “राज्यसभा में केवल एक दिन बचा है। अभी तक महात्मा गांधी का अपमान करने वाले इस बिल पर चर्चा के लिए समय निर्धारित नहीं किया गया है। यह विधेयक गरीब-विरोधी और संघीय ढांचे के खिलाफ है। वे महात्मा गांधी का नाम मिटाना चाहते हैं, इसलिए इतनी जल्दबाजी दिखाई जा रही है।”

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