एक ऐसे दौर में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से यह बदलाव ला रहा है कि ख़बरें कैसे बनाई और इस्तेमाल जाए, मीडिया संगठनों को अकेले काम करने वाली संस्थाओं से आगे बढ़कर टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म और स्थानीय कम्यूनिटी के साथ मिलकर काम करने वाले इकोसिस्टम बनाने के बारे में सोचना चाहिए।
उक्त बातें ग्लोबल ब्रांड रणनीतिकार डॉ. एरिक जोआचिमस्थेलर (Dr. Erich Joachimsthaler) ने 24वें CII ब्रांड कॉन्क्लेव 2025 के दौरान कही। डॉ. जोआचिमस्थेलर ने उक्त बातें उस समय कही जब एई समय के एक प्रतिनिधि ने उनसे पूछा कि AI-प्राथमिकता वाली दुनिया में इकोसिस्टम के नजरिए से मीडिया कंपनियां अपनी ख़बरों को पेश करने को मजबूत करने के लिए तकनीकी प्लेटफॉर्म या लोकल कम्यूनिटीज के साथ कैसे पार्टनरशिप कर सकती हैं?
जिम्मेदारी के साथ हो AI का इस्तेमाल
AI-प्रथम दुनिया के दौर में ख़बरें प्रस्तुत करने की चुनौतियों और मौकों पर बात करते हुए डॉ. जोआचिमस्टेलर ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पत्रकारिता के लिए खतरा नहीं बल्कि एक ऐसी ताकत के तौर पर देखा जाना चाहिए जो इसकी पहुंच, प्रासंगिकता और प्रतिक्रियाशीलता को मजबूत कर सकती है। बशर्ते इसका इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ किया जाए।
इकोसिस्टम के नजरिए से अगर बात की जाए तो उन्होंने मीडिया हाउस और तकनीकी मंचों के बीच पार्टनरशिप के महत्व पर जोर दिया। प्लेटफॉर्म डाटा एनालिसिस, कंटेंट की खोज और निजीकरण के लिए पैमाना, स्पीड और एडवांस्ड AI टूल लाते हैं। पत्रकारिता की मुख्य जिम्मेदारी यानी सत्यापन, संदर्भ और संपादकीय निर्णय न्यूज रूम के पास ही रहने चाहिए। उन्होंने कहा, "AI जानकारी को बहुत तेज गति से प्रोसेस कर सकता है लेकिन भरोसा अभी भी इंसानी संपादकीय फैसलों से ही बनता है।"
AI देता है गहन रिपोर्टिंग का मौका
डॉ. जोआचिमस्थेलर ने कहा कि AI-आधारित सिस्टम मीडिया संगठनों को उभरते ट्रेंड्स का पता लगाने, बड़े डाटासेट का विश्लेषण करने, अलग-अलग भाषाओं में कंटेंट का अनुवाद करने और वितरण की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। रूटीन कामों को ऑटोमेट करके, AI पत्रकारों को गहन रिपोर्टिंग, खोजी काम और कहानी को कहने पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है जो मात्रा के बजाय अर्थ को जोड़ता है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों के साथ ज्यादा जुड़ाव भी उतना ही जरूरी है। ऐसे माहौल में जहां जानकारी बहुत ज्यादा हो और लोगों का भरोसा कम हो, कम्यूनिटी की भागीदारी, विश्वसनीयता और प्रासंगिकता को मजबूत बना सकती है। स्थानीय रूप से योगदान देने वाले और जानकारियां देने वाले लोग व नेटवर्क ऐसी जानकारी देते हैं जिसे कोई एल्गोरिदम भी नकल नहीं कर सकता। उन्होंने आगे कहा कि AI कम्यूनिटी के इनपुट की संरचना को बनाने और मान्यता प्रदान करने में मदद कर सकता है जिससे प्रामाणिकता को कम किए बिना सटीकता में सुधार होता है।
हालांकि डॉ. जोआचिमथेलर ने चेतावनी दी कि इकोसिस्टम पार्टनरशिप को साफ नैतिक सीमाओं से कंट्रोल किया जाना चाहिए। आम लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए संपादकीय स्वतंत्रता , AI टूल्स के इस्तेमाल में पारदर्शिता और कंटेंट को मॉडरेट करने में जवाबदेही जरूरी हैं।
मीडिया संगठनों को यह साफ बताना चाहिए कि AI का इस्तेमाल कहां किया जाता है और कहां इंसानी फैसले काम करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारिता का भविष्य एकतरफा पब्लिशिंग के बजाय मिलकर काम करने में है। जो मीडिया कंपनियां तकनीकी क्षमता, संपादकीय ईमानदारी और कम्यूनिटी के भरोसे को मिलाएंगी, वे AI-प्रथम विश्व के दौर में सबसे अच्छी स्थिति में होंगी।
डॉ. जोआचिमथेलर ने कहा, "एल्गोरिदम से बनी दुनिया में विश्वसनीयता ही सबसे बड़ा प्रतियोगी फायदा होगा। तकनीक खबरों को बढ़ा सकती है लेकिन भरोसा सिर्फ इंसान ही जीत सकते हैं।"