आज एशिया कप फाइनल की सर्चलाइट में 22 गज के बाहर भी जंग, भारत-पाक आमने-सामने

पंचमी की शाम को दक्षिण कोलकाता के एक व्यस्त क्लब के अध्यक्ष के चेहरे पर मुस्कान। क्रिकेट प्रेमी क्लब के प्रमुख यह तय कर पाना मुश्किल है कि वे आखिरकार मोहल्ले के पंडाल में फटाफट स्क्रीन लगाएंगे या नहीं।

By सव्यसाची सरकार, Posted by: लखन भारती

Sep 28, 2025 10:52 IST

हालांकि, रविवार को महाषष्ठी के दिन पूजा पंडाल देखने के बीच मोबाइल ऐप पर जैसे एशिया कप का फाइनल चलेगा, वैसे ही कई लोग टीवी पर मैच देखकर पंडाल होपिंग पर निकलेंगे। एक टूर्नामेंट में तीन बार दो देश आमने-सामने, स्वाभाविक रूप से आयोजकों के खेल कार्यक्रम में मेगाहिट। उसके उपरांत कई नाटक बाहरी जगहों पर हो चुके हैं। नो हैंडशेक, पुरस्कार वितरण में सेना को जीत की समर्पण, गन फायरिंग या फाइटर जेट उतारने के इशारे, टूर्नामेंट का बहिष्कार करने की धमकी, मैच रेफरी द्वारा जुर्माने, फाइनल से पहले रद्द हुए दोनों पक्षों के साथ फोटोशूट— क्या नहीं है? हालांकि ये सब अभी तो फ्लैशबैक हैं। सर्चलाइट में फाइनल। चाहे ग्रुप लीग और सुपर फोर में जो भी हो और भारत जीते या नहीं, फाइनल ही फाइनल है। ट्रॉफी न मिलने का मतलब है खाली हाथ लौटना! ठीक वही बात याद दिला रहे हैं शोएब अख्तर। पाकिस्तान टीम के लिए पूर्व पाक पेसर का जलनभरा संदेश, 'फाइनल जीतो। फिर पहले दो मैचों की हार किसीको याद नहीं रहेगी। भारत को ज़रूर हराया जा सकता है, यह विश्वास रखो।'

इतने में अंत नहीं हुआ। शोएब की तरकीब, 'शुरुआत में ही उन्हें अभिषेक को बाहर निकालना होगा। तभी वे दबाव में आएंगे।' अभिषेक शर्मा! इस टूर्नामेंट में हर विरोधी के लिए आतंक बनकर उभरे। लगातार दो पाकिस्तान मैचों में पहले ही गेंद पर शाहीन शाह अफरीदी को छक्का मारकर शुरुआत, सुपर फोर में तीनों मैचों में धाकड़ हाफ सेंचुरी। लगातार स्ट्राइक रेट 200। अब तक इस टूर्नामेंट में अजेय, पावर प्ले में अभिषेक बनाम अफरीदी आंखें बंद करके फाइनल का एक प्रमुख यूनिक सेलिंग पॉइंट बनने जा रहा है। अभिषेक की बल्लेबाजी में विनाशकारी तहलका लेकिन बिल्कुल भी 'दौड़-भाग कर मारो, खत्म कर दो' जैसी सरल शैली नहीं है। इसके बजाय यह पूरी तरह 'मेथड इन मैडनेस' है। आधुनिक टी-20 की मांगों के अनुसार अद्वितीय हैंड-आई समन्वय और शानदार नवाचार का मिश्रण। उन्हें रोकने के लिए अफरीदी फैक्टर पर ही पाकिस्तान भरोसा करना चाहता है। जो शुरुआत में विकेट लेने के साथ ही टीम को ऊर्जा से भर देता है। साथ है हैरिस रऊफ। जिसने अपने हाथ से भारतीय सेना के विमान को लैंड करवाने का जश्न मानते हुए जुर्माना भरना पड़ा, वही सुपर फोर में समाप्त होकर बांग्लादेश को फाइनल में पहुंचने का सपना तोड़ दिया।

यह भारतीय बल्लेबाजी बिल्कुल सिर्फ़ डेब्यू पर निर्भर नहीं है। सूर्यकुमार, तिलक, संजू, हार्दिक मौजूद रहेंगे। श्रीलंका मैच में क्रैम्प के कारण हार्दिक एक ओवर से ज्यादा गेंदबाजी नहीं कर पाए, लेकिन उनकी फिटनेस को लेकर टीम इंडिया के गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्केल चिंतित नहीं हैं। वे कहते हैं, 'टीम को एक दिन की रिकवरी टाइम मिलेगा। मुझे नहीं लगता कि बड़ी समस्या होगी।' श्रीलंका मैच में न रहने के बावजूद फाइनल में बुमराह लौटेंगे, हर्षित की जगह। अरशदीप या शिवम, यह फैसला टीम को लेना होगा। इसके अलावा स्पिन तिकड़ी कुलदीप–वरुण–अक्षर मौजूद रहेंगे।

दुबई के स्लो विकेट पर शुरुआती दौर में 160–170 पर्याप्त होते हैं, लेकिन भारत–श्रीलंका मैच में स्कोर 200 पार कर गया। भारत के 202 रन श्रीलंका ने आराम से पीछा किया। अगर फाइनल का विकेट उसी मैच जैसा होगा तो स्ट्रोक प्लेयरों का पलड़ा भारी रहेगा। नहीं तो फिर स्पिनरों का दबदबा अनुमानित है। साथ में रेगिस्तान के शहर की गर्मी का फैक्टर भी। शाम के मैच में भी खिलाड़ियों को तेज गर्मी से जूझना पड़ रहा है। तापमान अक्सर 40 डिग्री पार कर जाता है।

पहले दो अफसरियों में दुबई स्टेडियम में दर्शक पूरी तरह नहीं भरे थे, लेकिन आज फाइनल में एक भी खाली सीट नहीं रहने वाली है। सूर्यकुमार चाहे जितना कहें, 'और यह मैच राइवलरी नहीं है,' असल में यह अल-सोल्ड आउट है। टूर्नामेंट के 41 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि फाइनल में दो टीमें पहुंची हैं। कागज पर भारत बिंदास फेवरेट दिखता है, लेकिन किसी भी फाइनल में यह टैग बेकार है। छोटे–छोटे पलों में दबाव सहने की क्षमता वाले इस फॉर्मेट में कभी भी मैच बदल सकता है, उम्मीद किए गए स्कोर पलट सकते हैं। यहाँ भी क्रिकेटिंग स्किल के साथ जो टीम निर्णायक मौके पर थिरकता है, वही ट्रॉफी लेकर जाएगी।

मैच खत्म होने के बाद भी ड्रामा हो सकता है। भारत पहले ही बता चुका है कि यदि एशियाई क्रिकेट काउंसिल के चेयरमैन मोहसिन नकवी पुरस्कार वितरण समारोह में मौजूद होंगे, तो वे उस समारोह का बहिष्कार करेंगे। चैंपियन या रनर-अप, कोई न कोई तो सूरज होंगे। फिर अगर चेयरमैन मौजूद नहीं होंगे तो ट्रॉफी कौन देगा?

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