समाचार एई समय: आंकड़े बताते हैं कि पिछले 365 दिनों में सेंसेक्स सिर्फ़ 0.91% बढ़ा है। अगर आप हिम्मत नहीं हारते और देश की कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिए बाजार पर नजर रखते हैं तो जब 'हाउ इज द जोश' सवाल आएगा तो आपको 'हाय सर' कहना ही पड़ेगा।
इस साल 185 कंपनियों ने आईपीओ के लिए शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) जमा किए हैं। यह संख्या तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब आप जानते हैं कि 2025 कैलेंडर वर्ष में सितंबर के आखिरी दिन तक कार्य दिवसों की संख्या भी लगभग 185 है। इस हिसाब से यह तर्क देना गलत नहीं होगा कि एक कंपनी ने हर कार्य दिवस पर अपने शेयर बाजार में लाने के लिए नियामक सेबी से आवेदन किया है।
एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश की कंपनियों द्वारा अपने शेयर बाजार में लाने का ऐसा रुझान पिछले 30 सालों में नहीं देखा गया है। कुल मिलाकर रिपोर्ट कहती है कि इस साल 185 कंपनियां बाजार से 2.72 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं। इतिहास गवाह है कि शेयर बाजार में आईपीओ की इससे पहले इतनी भीड़ 1996 में थी।
निवेशकों पर भरोसा करते हुए उस वर्ष 428 कंपनियों के अधिकारियों ने आईपीओ लाने के लिए सेबी को मसौदा पत्र प्रस्तुत किए। आंकड़े यह भी बताते हैं कि कंपनियों ने 2024 कैलेंडर वर्ष में आईपीओ न लाकर बाजार से 1.6 लाख करोड़ रुपये निकाले। यह एक सर्वकालिक रिकॉर्ड है।
इस साल के बचे हुए 3 महीनों में उस संख्या को पार करने के लिए सिर्फ 74,000 करोड़ रुपये ही बचे हैं। इसके अलावा आईपीओ लाने के लिए लगभग तैयार कंपनियों की सूची भी काफ़ी लंबी है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी, लेंसकार्ट, फोनपे, फिजिक्सवाला, मीशो, पाइन लैब्स जैसी कंपनियों के शेयर जल्द ही बाजार में आ सकते हैं।
हालांकि न सिर्फ साल ने रिकॉर्ड बनाया है बल्कि देश के शेयर बाजार (प्राथमिक बाजार) ने भी सितंबर में रिकॉर्ड बनाया है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल सितंबर में तीन दशकों में सबसे ज़्यादा कंपनियां (25) बाजार में लिस्ट हुईं। शेयर बाजार में आईपीओ में आखिरी बार इतनी तेजी जनवरी 1997 में देखी गई थी। उस महीने 28 कंपनियों के शेयर बाजार में आए थे।
कुछ जानकारों के मुताबिक घरेलू कंपनियों द्वारा आईपीओ के जरिए बाजार से पैसा जुटाने का चलन नया नहीं है। पिछले दो सालों में आईपीओ बाजार ने भी निवेशकों के बीच धूम मचाई है। 2023 के पहले नौ महीनों में 58 कंपनियों ने ड्राफ्ट पेपर जमा किए हैं।
2024 में इसी अवधि में 107 कंपनियों ने सेबी के पास आईपीओ के लिए आवेदन किया था। लेकिन इस साल कंपनियों की संख्या एक ही झटके में 107 से बढ़कर 185 हो गई है। कुछ बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वे भी हैरान हैं।
उनके मुताबिक तीन दशक बाद कंपनियों के ऐसे शेयरों के अचानक बाजार में आने के पीछे घरेलू निवेशक ही हैं। वे इस साल की शुरुआत से ही बाजार की अनिश्चितता के प्रति थोड़ी लापरवाही दिखा रहे हैं। शेयर बाजार में 'घरेलू संस्थागत निवेशकों' के दबदबे ने खुदरा निवेशकों को हिम्मत दी है।
दोनों एक्सचेंजों के आंकड़ों के अनुसार विदेशी निवेशकों ने इस साल भारतीय बाजार से 2.5 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। वहीं घरेलू निवेशकों ने इस साल 5.7 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। नतीजतन, बाजार में संतुलन बनाए रखना संभव हो पाया है। बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद कई कंपनियों के बोर्ड घरेलू निवेशकों की खरीदारी पर 'दांव' लगा रहे हैं। वे व्यावसायिक फंडिंग से लेकर विभिन्न कॉर्पोरेट जरूरतों के लिए घरेलू बाजार से पैसा जुटाने के इच्छुक हैं।
ज़्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में छोटे और मध्यम उद्यम (एसएमई) आईपीओ बाजार में एक नई ताकत बनकर उभरे हैं। मुख्य बाजार की तुलना में ज्यादा एसएमई कंपनियां लिस्टिंग के लिए डीआरएचपी दाखिल कर रही हैं। नतीजतन नए शेयर जुटाने वाली कंपनियों की सूची में एसएमई कंपनियां एक प्रमुख हिस्सा बन रही हैं। इस बारे में पैंटोमथ फाइनेंशियल सर्विसेज़ के महावीर लुनावत ने कहा "नए शेयरों ने भारतीय परिवारों के लिए निवेश के द्वार खोल दिए हैं। आने वाले दिनों में बाजार में आईपीओ के जरिए 4-5 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है।"