लाखों करोड़ रुपये की रिकॉर्ड उधारी, ब्रोकर मार्केट में खरीद-बिक्री में तेजी

देश में मार्जिन ट्रेडिंग में तेजी, एक साल में 22% की वृद्धि

By Ayantika Saha, Posted by: Shweta Singh

Oct 04, 2025 10:26 IST

एई समय। सभी जानते हैं कि शेयर बाजार में कभी भी कुछ भी हो सकता है और मुनाफा होने की कोई गारंटी नहीं। इसके बावजूद कई भारतीयों को लगता है कि शेयर बाजार की उथल-पुथल में गोता लगाने पर उन्हें भी मुनाफा मिल सकता है। हालांकि जेब इसकी इजाजत नहीं देती है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ख्वाहिशों और हकीकत में जमीन और आसमान का फर्क होता है।

चार्वाक या लोकायत दर्शन के मुताबिक 'ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्'। यह भी काफी हद तक सच है। उधार लेकर भी दलाल स्ट्रीट मेंअपनी किस्मत आजमाने वाले भारतीय निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ही में, इस 'बढ़ते रुझान' को देखकर ज्यादातर विशेषज्ञ चिंतित हो गए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ में एकमुश्त बढ़ोतरी के कारण शेयर बाज़ार में उथल-पुथल मची हुई है। शेयर सूचकांक कब बढ़ेगा और कब तेजी से गिरेगा, इसे लेकर भारी अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि ऐसी स्थिति में भी निवेशकों के एक वर्ग में शेयर खरीदने-बेचने को लेकर कोई झिझक नहीं है। अगर उनकी जेब में पैसे नहीं हैं तो वे कर्ज लेकर शेयर खरीद रहे हैं जिससे उनका जोखिम काफी हद तक बढ़ रहा है।

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस साल सितंबर में ऋण लेकर शेयरों पर दांव लगाने का चलन अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। पिछले महीने मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग ने पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया। इस साल सितंबर में निवेशकों ने एनएसई और बीएसई पर मिलाकर 1,04,308 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। गौरतलब है कि सितंबर 2024 में 85,400 करोड़ रुपये का कर्ज था जिसमें पिछले एक साल में 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

मार्जिन ट्रेडिंग क्या है?

सरल शब्दों में, यह उधार लेकर शेयर खरीदने की कुंजी है। कुछ कंपनियांं आपको 'मार्जिन' के रूप में एक निश्चित राशि उधार देती हैं क्योंकि आपके पास 'कम' पैसा होता है। बदले में वे आपसे एक निश्चित शुल्क लेती हैं। यह ऋण सेबी में पंजीकृत ब्रोकरों से लिया जा सकता है।

शब्दावली में इसे मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (MTF) कहा जाता है। इस पद्धति में जैसे-जैसे निवेशकों की क्रय शक्ति बढ़ती है, जोखिम भी बढ़ता जाता है। अगर ऋण पर खरीदे गए शेयरों की कीमत बढ़ती है तो निवेशक को लाभ होता है। लेकिन अगर किसी कारण से शेयर खरीद मूल्य से नीचे गिर जाता है तो नुकसान भी बढ़ जाता है।

मार्जिन ट्रेडिंग कैसे की जाती है?

मान लीजिए कि एक निवेशक शेयरों में 50 हजार रुपये का निवेश करना चाहता है। लेकिन उसके पास 20,000 रुपये हैं। ऐसे में 20 प्रतिशत मार्जिन नियम वाला एक ब्रोकर आपको 10 हजार रुपये के शुरुआती मार्जिन के बदले 50 हजार रुपये मूल्य के शेयर खरीदने के लिए 40,000 रुपये'उधार' देगा। लाभ-हानि का हिसाब बाद में लगाया जाएगा।

नफा-नुकसान का हिसाब

मान लीजिए आपके 50,000 रुपये वाले शेयर की कीमत बढ़कर 60,000 रुपये हो जाती है। तब धन के रूप में लाभ 10,000 रुपया या 20 प्रतिशत होगा लेकिन चूंंकि आपने केवल 10,000 रुपया ही निवेश किया है, उस स्थिति में आपका लाभ 100 प्रतिशत हो जाएगा।

बेशक जिस कंपनी से आपने 'उधार' लिया है, वह लाभ में से अपने शुल्क काटकर आपको लाभ वापस कर देगी और हां, शेयर बेचते समय आपको उधार लिया गया पैसा वापस करना होगा। फिर कंपनी 'उधार' की राशि घटाकर शेष राशि समायोजित कर लेगी। ध्यान रखें कि इसी तरह यदि आपके 50,000 रुपये वाले शेयर की कीमत घटकर 40,000 रुपये हो जाती है तो भी नुकसान 100 प्रतिशत होगा। शुरुआत में आपका निवेश प्रारंभिक मार्जिन मनी और शेष शुल्क काटकर आपको वापस कर दिया जाएगा।

जानकारी के अनुसार, मार्जिन देने से पहले ब्रोकर निवेशक की नकदी या उसके शेयरों को संपार्श्विक (को-लेटरल) के रूप में रखता है। इसके अलावा मार्जिन ट्रेडिंग केवल सेबी द्वारा अनुमोदित शेयरों में ही की जा सकती है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उधार पर ट्रेडिंग करने पर जोखिम कारक लाभ से कहीं अधिक होता है। उन्होंने कहा कि यदि निवेशक द्वारा खरीदे गए शेयरों में नुकसान की राशि बहुत अधिक हो जाती है तो ब्रोकर सीधे पोजीशन को स्क्वेयर ऑफ कर सकता है। इससे निवेशक के लिए नुकसान का जोखिम बढ़ सकता है।

पिछले महीने उधार पर सबसे अधिक ट्रेडिंग जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयरों में हुई। उस शेयर में 1,417 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। इसके अलावा, बड़ी संख्या में निवेशकों ने टीसीएस और टाटा मोटर्स के शेयरों में भी उधार पर ट्रेडिंग की।

इस बारे में कोटक सिक्योरिटीज के आशीष नंदा ने कहा कि एमटीएफ में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। पहला नियामक संस्था ने पिछले साल निवेशकों को वायदा एवं विकल्प बाजार में निवेश करने से हतोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए थे। इसके अलावा कई डिस्काउंट ब्रोकर निवेशकों को आकर्षक दरों पर इस प्रकार का ऋण लेने के कई अवसर प्रदान कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, इस तरह से खरीदारी का चलन बढ़ रहा है।

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