नयी दिल्लीः बांग्लादेश द्वारा कच्चे जूट के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के कारण देश के जूट उद्योग में जो संकट पैदा हो रहा है, उसके मद्देनज़र देश के जूट मिल मालिकों के संगठन ने केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। हाल ही में केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह को लिखे पत्र में इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) ने कहा है कि यदि जल्द ही नीति में बदलाव नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।
संगठन का कहना है कि बांग्लादेश ने 8 सितंबर से एकतरफा रूप से कच्चे जूट का निर्यात बंद कर दिया है, जिससे भारत की जूट मिलों में कच्चे माल की भारी कमी हो गई है। इसका असर बाजार पर भी पड़ा है, जहां जूट की कीमतें अचानक असामान्य रूप से बढ़ गई हैं। कच्चे माल की कमी और कीमतों में वृद्धि-इन दोनों कारणों से कई जूट मिलों के गंभीर आर्थिक संकट में फंसने की आशंका आईजेएमए ने जताई है।
संगठन के अनुसार एक ओर बांग्लादेश भारत की जूट मिलों के लिए कच्चे जूट की आपूर्ति बंद किए हुए है, वहीं दूसरी ओर वह देश लगभग पूरी तरह भारत के उच्च उपज वाले जूट बीजों पर निर्भर है। इन बीजों का उपयोग कर बांग्लादेश में बने जूट उत्पाद कम कीमत पर भारत में निर्यात किए जा रहे हैं, जो घरेलू उद्योग के लिए नुकसानदायक है। इस समस्या के समाधान के लिए आईजेएमए ने बांग्लादेश को जूट बीज के निर्यात को तुरंत बंद करने और जूट उत्पादों के आयात को नियंत्रित करने की मांग की है। संगठन का मानना है कि ऐसा नहीं होने पर जूट उद्योग की पूरी मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) के टूटने का खतरा है।