समाचार एई समयः चालू वर्ष में दो चरणों में अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस ‘टैरिफ गेम’ से भारतीय उत्पादों के निर्यात पर दबाव पड़ने की आशंका जताई जा रही थी। विशेषज्ञों के एक वर्ग का मानना था कि इससे भारत के निर्यात को झटका लग सकता है।
हालांकि, इस चुनौती से निपटने के लिए ट्रंप के टैरिफ ऐलान के तुरंत बाद ही नई दिल्ली सक्रिय हो गई। भारत की रणनीति साफ थी-अमेरिका पर निर्भरता घटाकर अन्य देशों में भारतीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना। इस रणनीति का असर कुछ ही महीनों में साफ नजर आने लगा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वर्ष के नवंबर महीने में 2024 के नवंबर की तुलना में भारत से चीन को निर्यात 90 प्रतिशत बढ़ गया है।
आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में भारत से चीन को निर्यात का मूल्य 19 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल के नवंबर के मुकाबले 90 प्रतिशत अधिक है। वहीं, चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर के बीच भारत से चीन को कुल शिपमेंट का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये रहा। इसकी तुलना में 2024-25 वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 82 हजार करोड़ रुपये था। यानी पिछले वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के मुकाबले इस वित्त वर्ष में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू कैलेंडर वर्ष में भारत से चीन को निर्यात किए गए उत्पादों में नैफ्था शीर्ष पर रहा। पिछले वर्ष के अक्टूबर की तुलना में चालू वर्ष के अक्टूबर में नैफ्था का निर्यात 512 प्रतिशत बढ़ा है।
इसके साथ ही भारत ने चीन को इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्यात भी बढ़ाया है। चालू वर्ष के अक्टूबर में प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) का निर्यात 2.6 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल के अक्टूबर की तुलना में 8,577 प्रतिशत अधिक है। वहीं, मोबाइल फोन के पुर्जों का निर्यात भी अक्टूबर में बढ़ा है, जिसे विशेषज्ञों का एक वर्ग ‘असामान्य प्रवृत्ति’ बता रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, आमतौर पर भारत चीन से इलेक्ट्रॉनिक सामान आयात करता है, लेकिन इस वर्ष इसका उलटा रुझान देखने को मिला है।
हालांकि, लौह अयस्क (आयरन ओर) के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। अक्टूबर 2024 की तुलना में अक्टूबर 2025 में इसका निर्यात 1.2 प्रतिशत कम हुआ है। वहीं, चालू वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर के बीच लौह अयस्क के निर्यात में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नवंबर महीने के निर्यात आंकड़ों को लेकर भारत और चीन के बीच असंगति दिखाई दे रही है। नई दिल्ली के मुताबिक, नवंबर में भारत से चीन को कुल निर्यात 2.2 बिलियन डॉलर रहा। वहीं, बीजिंग का दावा है कि नवंबर में भारत से चीन को निर्यात का आंकड़ा 1.9 बिलियन डॉलर (करीब 1.7 हजार करोड़ रुपये) था।
इसके अलावा, बीजिंग का कहना है कि चालू कैलेंडर वर्ष के जनवरी से नवंबर के बीच भारत से चीन को कुल निर्यात डेढ़ लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि नई दिल्ली के अनुसार इस अवधि में भारत ने चीन को 1.4 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भले ही हाल के महीनों में चीन को भारतीय निर्यात बढ़ा हो, लेकिन भारत-चीन व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है। बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि चालू कैलेंडर वर्ष में भारत से चीन को कुल निर्यात 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। दूसरी ओर, इसी अवधि में चीन से भारत का आयात 11 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इसके चलते दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा करीब 9.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।