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नौकरी बदलने के बीच में अगर छुट्टी आती है तो वह नहीं कहलाएगा 'सर्विस ब्रेक' - EPFO का स्पष्टीकरण

अगर काम करते समय किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो EDLI परियोजना के तहत मिलने वाले इंश्योरेंस के रुपए पाने में 'सर्विस ब्रेक' के वास्तविक अर्थ को लेकर लंबे समय से उलझन बनी हुई थी।

By Sudipta Banerjee, Posted By : Moumita Bhattacharya

Dec 19, 2025 13:48 IST

कर्मचारियों के परिवारों को राहत देने के लिए एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने एम्प्लॉई डिपॉज़िट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (EDLI) को लेकर एक जरूरी स्पष्टीकरण जारी किया है। अगर काम करते समय किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो EDLI परियोजना के तहत मिलने वाले इंश्योरेंस के रुपए पाने में 'सर्विस ब्रेक' के वास्तविक अर्थ को लेकर लंबे समय से उलझन बनी हुई थी।

उस उलझन को दूर करते हुए EPFO ने स्पष्ट कर दिया कि अगर एक नौकरी छोड़ने और दूसरी नौकरी ज्वाइन करने के बीच सिर्फ शनिवार-रविवार या कोई घोषित छुट्टी आती है तो इसे किसी भी तरह से सर्विस ब्रेक नहीं माना जा सकता।

17 दिसंबर को जारी एक दिशानिर्देश में EPFO ​​ने कहा कि 'लगातार सर्विस' या बिना रुकावट की नौकरी की परिभाषा का बहुत छोटा इस्तेमाल होने की वजह से कई मामलों में EDLI डेथ क्लेम या तो रिजेक्ट कर दिए गए हैं या कम रुपए देकर सेटल कर दिए गए हैं।

ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां एक संस्थान में काम पूरा करने और अगले संस्थान में जॉइन करने के बाद भले ही उनके बीच सिर्फ शनिवार और रविवार ही आया हो, इसे सर्विस ब्रेक मान लिया जाता है। इस वजह से संबंधित कर्मचारी का परिवार EDLI सुविधाएं पाने से वंचित रह जाता है। भले ही उसने कई कंपनियों में 12 महीने से ज्यादा काम किया हो।

EPFO ने इस स्थिति को ‘असामान्य’ और ‘अनुचित’ माना है। इसलिए नई स्पष्टीकरण में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ने के बाद किसी दूसरे EPFO ​​से जुड़ी कंपनी में जाता है और बीच में सिर्फ एक सप्ताह की छुट्टी, नेशनल हॉलीडे, गजटेड छुट्टी, राज्य सरकार की छुट्टी या सीमित छुट्टी पड़ती है तो उस समय को सर्विस जारी रखने का हिस्सा माना जाएगा। यानी अगर कोई कर्मचारी शुक्रवार को नौकरी छोड़कर सोमवार को नई नौकरी ज्वाइन करता है तो बीच के शनिवार-रविवार को उसकी वर्किंग लाइफ में रुकावट नहीं मानी जाएगी।

इसके अलावा EPFO ​​ने यह भी कहा है कि कई कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में अगर दो नौकरियों के बीच 60 दिन तक का गैप भी हो तब भी उसे ‘लगातार सर्विस’ माना जाएगा। इस वजह से कॉन्ट्रैक्ट वाली या बार-बार नौकरी बदलने वाले परिवारों को EDLI की सुविधाएं पाने में काफी मदद मिलने की संभावना है।

हाल ही में, EDLI परियोजना में कुछ और बदलाव किए गए हैं। जिन कर्मचारियों ने अपनी मौत से पहले लगातार 12 महीने काम नहीं किया है और जिनका औसत PF बैलेंस 50,000 रुपये से कम है उनके परिवार या कानूनी वारिसों के लिए न्यूनतम बीमा बेनिफिट रकम बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा अगर किसी कर्मचारी की मौत आखिरी PF डिपॉजिट के छह महीने के अंदर हो जाती है और वह अभी भी एम्प्लॉयर के पेरोल पर है तो भी EDLI बेनिफिट दिया जाएगा।

कुल मिलाकर जानकारों का मानना ​​है कि EPFO ​​के इस स्पष्टीकरण और संशोधन से कर्मचारियों के परिवारों की वित्तीय सुरक्षा पहले के मुकाबले और मजबूत होगी। EPFO ​​ने नई गाइडलाइंस में साफ संदेश दिया है ताकि पीड़ित परिवार को छोटी-मोटी प्रशासनिक सफाई की वजह से वंचित न रहना पड़े।

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