नयी दिल्लीः भारत ने डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। नवंबर 2025 में देश का ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर बेस 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर गया। यह उपलब्धि टेलीकॉम सेक्टर की तेज रफ्तार को दिखाती है। इसके साथ ही यह भी संकेत देती है कि इंटरनेट अब शहरी सुविधा नहीं, बल्कि देश की बुनियादी जरूरत बन चुका है।
बीते दस वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह बदलाव और भी स्पष्ट होता है। 2015 में ब्रॉडबैंड यूजर्स की संख्या सीमित थी। हालांकि आज मोबाइल इंटरनेट, सस्ते डेटा प्लान और स्मार्टफोन की पहुंच ने आम लोगों को डिजिटल दुनिया से जोड़ दिया है। इसी बदलाव का सबसे बड़ा लाभ रिलायंस जियो को मिला है, जिसने बाजार में स्पष्ट बढ़त बना ली है।
जियो का ब्रॉडबैंड यूजर बेस 51 करोड़ तक पहुंचना इस बात का संकेत है कि कंपनी की रणनीति-कम कीमत, बेहतर नेटवर्क और व्यापक कवरेज-अब भी असरदार है। खास बात यह है कि जियो सिर्फ मोबाइल ब्रॉडबैंड में ही नहीं, बल्कि फिक्स्ड ब्रॉडबैंड सेगमेंट में भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
भारती एयरटेल दूसरे स्थान पर बनी हुई है और उसने भी बड़ी संख्या में यूजर्स को अपने नेटवर्क से जोड़ा है। एयरटेल की मजबूती शहरी और मेट्रो क्षेत्रों में दिखाई देती है, जहां हाई-स्पीड इंटरनेट की मांग लगातार बढ़ रही है। हालांकि जियो और एयरटेल के बीच का अंतर यह दिखाता है कि प्रतिस्पर्धा के बावजूद बाजार एक बड़े लीडर की ओर झुकता जा रहा है।
वोडाफोन आइडिया और सरकारी कंपनियों के लिए यह दौर चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। मोबाइल सब्सक्राइबर बेस में लगातार गिरावट यह दर्शाती है कि सीमित निवेश और नेटवर्क विस्तार की कमी कंपनियों पर भारी पड़ रही है। खासकर वोडाफोन आइडिया का 20 करोड़ से नीचे फिसलना, आने वाले समय में उसके लिए रणनीतिक फैसलों को और अहम बना देता है।
फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड में भले ही वृद्धि धीमी हो, लेकिन यह सेगमेंट स्थिर बना हुआ है। वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन एजुकेशन और डिजिटल एंटरटेनमेंट ने घरों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन की जरूरत को मजबूत किया है। निजी कंपनियां यहां भी धीरे-धीरे अपनी पकड़ बढ़ा रही हैं, जबकि कुछ सरकारी और क्षेत्रीय नेटवर्क ग्राहकों को बनाए रखने में संघर्ष कर रहे हैं।
कुल मिलाकर, 100 करोड़ ब्रॉडबैंड कनेक्शन का आंकड़ा भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत संकेत है। आने वाले वर्षों में 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑनलाइन सेवाओं और स्टार्टअप्स के विस्तार के साथ यह संख्या और तेजी से बढ़ने की संभावना है। टेलीकॉम सेक्टर के लिए यह उपलब्धि जहां अवसरों के नए दरवाजे खोलती है, वहीं कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा को भी और तीखा बनाएगी।