कोलकाता। नई दरों के लागू होने के बाद दवाओं पर अब जीएसटी कम हो गया है। इस वजह से सभी बड़े थोक व खुदरा दुकानदारों ने नये सॉफ्टवेयर से बिलिंग करना शुरू कर दिया है। सोमवार से ही थोक और खुदरा बाजार में कुछ दवाएं 5 फीसदी जीएसटी और 33 जीवनरक्षक दवाएं शून्य जीएसटी पर बेची जा रही हैं। इसलिए पहले के मुकाबले अब खरीदारों को दवाइयां 6-11 फीसदी कम कीमत पर मिल रही हैं।
शहरी इलाकों में नई जीएसटी दरों के हिसाब से बिलिंग की तैयारी हो गयी है लेकिन जिला स्तर पर कई छोटी दुकानें अभी तक ऐसी तैयारी नहीं कर पाई हैं। दवा व्यापारी संगठन के अनुसार दवा विक्रेताओं को अपना सॉफ्टवेयर अपडेट करने में कुछ दिन और लग सकते हैं। नतीजतन खरीदारों को अभी कीमतों में कटौती का पूरा फायदा पाने के लिए कुछ दिन और इंतजार करना होगा।
स्वास्थ्य विभाग के कुछ लोगों को डर है कि निकट भविष्य में कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं। डॉक्टर फुआद हलीम ने कहा कि दवाओं के एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडियंट्स और वाइटल इनग्रेडिएंट्स पर अभी भी 18% इनपुट टैक्स है। हालांकि कीमतों पर आउटपुट टैक्स को कम कर दिया गया है। इस वजह से भविष्य में एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) बढ़ सकता है। इसके अलावा ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर(डीपीसीओ) के तहत दवा कंपनियों को हर साल 10% तक कीमतें बढ़ाने की अनुमति मिली हुई है। डॉ.फुआद का मानना है कि इस पर लगाम लगाने की जरूरत है।
हालांकि अधिकतर दुकानदार इसे लेकर इतना नहीं सोच रहे हैं। वे मरीजों के फायदे के लिए जीएसटी की दरों में कटौती का समर्थन कर रहे हैं। इससे ग्राहक के बिल में औसतन 6.2 से 10.7 प्रतिशत की कमी आएगी। दुकानदारों का मानना है कि दवाओं की बेस प्राइस में कोई बदलाव किये बगैर सिर्फ जीएसटी की दरों में बदलाव किये जाने की वजह से ग्राहकों को पहले के मुकाबले अब 6-11 प्रतिशत कम भुगतान करना होगा।
'धनवंतरि' औषधि श्रृंखला के प्रमुख राजेंद्र खंडेलवाल ने कहा कि हमने रविवार को ही बिलिंग सिस्टम अपडेट कर दिया था। जीएसटी की बदली हुई दरों को 40,000 उत्पादों पर लागू करना आसान काम नहीं था। मध्य हावड़ा स्थित सुस्वास्थ्य केमिस्ट के मालिक पल्लब मंडल ने भी बताया कि रविवार की देर रात तक सॉफ्टवेयर अपडेट का काम चलता रहा। सोमवार सुबह से संशोधित जीएसटी के साथ बिलिंग की जा रही है। ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के दिशानिर्देशों के अनुसार कहाँ और कितना जीएसटी बदला गया है इसकी सूची भी प्रकाशित की गयी है।
दवा उद्योग के बड़े गुट ने नई दर पर बिलिंग करना शुरू कर दिया है। बड़े थोक विक्रेताओं के साथ ही अच्छा कारोबार करने वाले खुदरा दवा दुकानदारों ने पहले भी ग्राहकों को 10-20% तक की छूट दी है। इनमें से कई दवा विक्रेता जीएसटी की कम दरों के हिसाब से ग्राहकों को अधिक फायदा देने पर विचार कर रहे हैं। एक दुकानदार ने कहा कि नए जीएसटी पर ग्राहकों को कम से कम 6% की छूट दी जा सकती है। हमें जीएसटी डिफरेंस पर बाद में रिटर्न मिल ही जाएगा।
खुदरा और थोक दवा विक्रेताओं के संगठन बंगाल केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (बीसीडीए) के प्रवक्ता शंख रॉयचौधरी ने कहा कि हमारे 1,040 सदस्यों को बताया गया है कि उन्हें सोमवार से ही नए जीएसटी के हिसाब से ही बिल बनाना होगा। अगर किसी का सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं हो पाया तो उन्हें मैन्युअली हिसाब करना होगा। किसी भी तरह से पुरानी दर पर जीएसटी लागू नहीं किया जाएगा।
लोगों का मानना है कि दवाओं पर जीएसटी कम करना एक बड़ा फैसला है। इससे मरीजों और उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ कम होगा। दवाओं की कीमतों में कटौती करने की वजह से इलाज कराना आसान हो जायेगा।