वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिम दिशा को शनिदेव का निवास स्थान माना जाता है। पश्चिम दिशा में कौन-कौन सी चीजें नहीं रखनी चाहिए ?
वास्तुशास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा को शनिदेव का निवास स्थान माना जाता है। शनि न्याय और कर्मफल का प्रतीक हैं जो जैसा कर्म करता है शनि वैसा फल देता है। इसलिए इस दिशा में गलत चीजें रखने से आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव और करियर में बाधा आ सकती है। हालांकि सही चीज़ों और संतुलन को बनाए रखने पर पश्चिम दिशा स्थिर रहती है और आपको सफलता देती है।
पश्चिम दिशा में कौनसी चीजें नहीं रखें ?
कचरा या टूट-फूट की चीजें
पश्चिम दिशा में टूटी हुई बर्तन, फर्नीचर या कचरा रखने से शनिदेव असंतुष्ट होते हैं। इससे घर की ऊर्जा का संतुलन बिगड़ता है। अशुभ ऊर्जा बढ़ती है। काम में बार-बार अड़चनें आती हैं। द्वंद्व और आर्थिक समस्याएँ बनी रहती हैं। अतः, इस दिशा को हमेशा साफ रखें। टूट-फूट या बेकार वस्तुएँ तुरंत हटा दें।
प्रार्थना कक्ष या मंदिर
वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा प्रार्थना कक्ष के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। पश्चिम दिशा में मंदिर या पूजा स्थल बनाने से शनि दोष का निमंत्रण होता है। यह देवताओं की कृपा को कम कर देता है। अगर इसे टाला न जा सके तो यहां शनि यंत्र या बरगद के पेड़ की तस्वीर रखें। यह शनि के अशुभ प्रभाव को कम करता है और कर्म के फल में सुधार करता है।
पश्चिम दिशा में सोने का कमरा
पश्चिम दिशा में सोने का कमरा होने से नींद में खलल, मानसिक दबाव और शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। शनि की शक्ति भारी होती है, जो विश्राम और शांति में बाधा डालती है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा में सोने का कमरा होना हमेशा शुभ माना जाता है। पश्चिम दिशा में एक अध्ययन कक्ष या ऑफिस स्पेस बनाया जा सकता है जो सफलता और ध्यान दोनों को बढ़ाता है।
शनि ग्रह को खुश कैसे करें ?
शनिवार को शनि मंदिर जाएँ और ‘ॐ शन शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 19 बार जाप करें। काले तिल, सरसों का तेल, या काला चना दान करें। पश्चिम दिशा में एक नीली परदा लटकाएँ। इस दिशा में साफ-सफाई बनाए रखें।