कूर्म अवतार को स्थिरता, धैर्य, संतुलन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जैसे कछुआ अपने भारी खोल में आश्रय लेकर अपनी रक्षा करता है, वैसे ही इस अवतार की उपस्थिति घर में सुरक्षा, शांति और वित्तीय स्थिरता लाती है।
समुद्र मंथन के समय मंदराचल पर्वत अपने वजन और आकार के कारण बार-बार समुद्र गर्भ में डूबता जा रहा था। उस समय भगवान विष्णु कूर्म अवतार का रूप धारण करते हैं। अपने पीठ पर मंदराचल पर्वत को धारण करते हैं ताकि देवता और असुर आसानी से मंथन कर सकें। विष्णु का दूसरा अवतार कूर्म, अर्थात् कछुआ है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, कूर्म अवतार या श्रीविष्णु का कछुआ रूप अत्यंत शुभ और शक्तिशाली प्रतीक है। कूर्म अवतार को स्थिरता, धैर्य, संतुलन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जैसे कछुआ अपने भारी खोल में आश्रय लेकर अपने आप को सुरक्षित करता है, वैसे ही इस अवतार की उपस्थिति घर में सुरक्षा, शांति और आर्थिक स्थिरता लाती है। इसलिए घर में बहुत से लोग कूर्म अवतार की मूर्ति रखते हैं। इस मूर्ति को रखने से क्या होता है ? इसे कैसे रखा जाए ? सब कुछ जानें।
कूर्म अवतार की मूर्ति रखने से क्या होता है ?
आर्थिक स्थिति और समृद्धि बढ़ती है। वास्तु के अनुसार, कूर्म अवतार की मूर्ति धन और संपत्ति की स्थिरता बढ़ाती है। यह धन का अपव्यय रोकती है और परिवार में आर्थिक संतुलन बनाए रखती है। घर में स्थिरता और शांति बनाए रखती है जिन परिवारों में बार-बार विवाद, अशांति या मानसिक अस्थिरता रहती है, वहां यह मूर्ति रखने से स्थिरता आती है। अशांति दूर रहती है। यह अशुभ शक्तियों के प्रभाव को नष्ट करती है। नेगेटिव ऊर्जा दूर करती है। कूर्म अवतार 'धारण क्षमता' और 'रक्षा शक्ति' का प्रतीक है। यह घर में अशुभ शक्तियों का विनाश करती है। भाइयों के बीच ईर्ष्या कम करती है। दूसरों की नज़र से आपके परिवार की रक्षा करती है। घर में शुभ ऊर्जा का संचार करती है। कर्मफल और धैर्य बढ़ता है। कूर्म की शक्ति व्यक्ति को धैर्यशील और स्थिर होने में मदद करती है। परिणामस्वरूप निर्णय लेने में स्थिरता आती है। कार्यालय या व्यवसाय के स्थान पर रखने से दीर्घकालिक सफलता मिलती है।
प्रतिमा कहाँ रखें ?
जहाँ-तहाँ कूर्म अवतार की मूर्ति रखने से कोई फल नहीं मिलता। घर के उत्तर दिशा या उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में कूर्म अवतार की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों या कार्यालय में मूर्ति को प्रवेश द्वार के सामने इस तरह रखें कि वह अंदर की ओर मुख करे। शो रूम या बाथरूम के पास कभी भी कूर्म अवतार की मूर्ति मत रखें।
इसे कैसे प्रतिष्ठित करें ?
पहले पंचांग से शुभ दिन चुनें। शुभ कूर्म मूर्ति स्थापित करने के लिए गुरुवार या एकादशी तिथि सबसे अधिक शुभ मानी जाती है। कौन धातु की कूर्म मूर्ति स्थापित करें, यह भी महत्वपूर्ण है। पीतल, चाँदी या पत्थर की मूर्ति सबसे शुभ मानी जाती है। सुबह स्नान करके साफ एवं शुद्ध वस्त्र पहनें। इसके बाद मूर्ति को गंगाजल और कच्चे दूध से धोकर सुखा लें। अब एक साफ कपड़े या छोटे पीठ पर लाल या पीले आसन बिछाकर मूर्ति रखें। दीपक और धूप जलाकर 'ॐ कूर्माय नमः' मंत्र का जाप करते हुए मूर्ति स्थापित करें। फूल, तुलसी पत्र और नैवेद्य अर्पित करें।प्रत्येक दिन पूजा के समय मूर्ति के सामने धूप और दीपक जलाएं। जल दें। इससे घर में शांति और समृद्धि बनी रहेगी।