लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को यहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया और राज्य में पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराध रोकथाम को मजबूत करने के लिए एआई आधारित “YAKSH” ऐप शुरू किया।
यह सम्मेलन पुलिस मंथन नाम से आयोजित किया गया और इसमें साइबर अपराध, मानव तस्करी और सोशल मीडिया जैसे उभरते मुद्दों पर चर्चा की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार राज्य पुलिस 11 सत्रों में भाग लेकर भविष्य की रणनीति और योजनाएं तय करेगी।
पुलिस अधिकारियों ने एक पोस्ट में कहा कि अधिकारियों को प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेकर व्यक्ति केंद्रित कानून व्यवस्था और तकनीक-आधारित आधुनिक पुलिस प्रणाली विकसित करने पर विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री को इस कार्यक्रम में परंपरागत गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया और डीजीपी राजीव कृष्ण तथा एडीजी (PAC) राम कृष्ण स्वर्णकार ने उन्हें पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया। सम्मेलन कल रविवार को समाप्त होगा।
डीजीपी ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य स्मार्ट और प्रभावी पुलिसिंग के साथ अपराध और अपराधियों के खिलाफ तेज़ कार्रवाई सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री दोनों दिन सत्र में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में पहले दिन अनेक विषयों पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई जिसमें बीट पुलिसिंग, तकनीक-आधारित पहल और सर्वोत्तम अभ्यासों जैसे मुद्दों पर चर्चा शामिल थी।
YAKSH ऐप के बारे में अधिकारियों ने बताया कि यह ऐप एआई और बड़े डेटा विश्लेषण के उपयोग से तैयार किया गया है। यह अपराध, अपराधियों तथा संवेदनशील क्षेत्रों का विस्तृत डेटाबेस रखेगा। इसके फीचर्स में स्टेशन-वार अपराधी सूची, बीट-स्तर सत्यापन, एआई आधारित संदिग्ध पहचान, वॉइस सर्च, गैंग-लिंक विश्लेषण और मूवमेंट अलर्ट शामिल हैं जो बीट कर्मचारियों के रोज़मर्रा के काम को सरल बनाएंगे।
सम्मेलन में महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों, चाइल्ड प्रोटेक्शन और मानव तस्करी जैसे मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा हुई। अतिरिक्त महानिदेशक (महिला एवं बाल सुरक्षा) पद्माजा चौहान ने मिशन शक्ति केंद्रों, जागरूकता कार्यक्रमों, पारिवारिक विवाद निस्तारण क्लीनिक और बलात्कार मामलों में कानून प्रवर्तन पर जानकारी दी। एक अन्य अधिकारी ने स्मार्ट SHO डैशबोर्ड का प्रस्तुतीकरण किया, जिससे थाना प्रभारी शिकायतें, अपराध और स्टाफ प्रदर्शन को एक ही प्लेटफॉर्म पर मॉनीटर कर सकेंगे। डैशबोर्ड से शिकायत निवारण, पेंडेंसी में कमी, पुलिस कर्मचारियों की जवाबदेही, ट्रैफिक प्रबंधन और अपराध मॉनीटरिंग बेहतर होगी।