क्लब संघ और AIFF ने अपनी अपनी जिद छोड़ते हुए शुक्रवार को ISL शुरू करने के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार कर लिया। यह फैसला एक संयुक्त वर्चुअल बैठक में लिया गया। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला तो ISL का किक-ऑफ अगले साल 5 फरवरी को होगा।
क्लब संघ का दावा है कि उनके साथ 13 क्लब हैं। केवल ईस्ट बंगाल ही शुक्रवार रात तक इस संघ से बाहर था। ऐसे में अगर लीग की प्रशासनिक शक्ति क्लब संघ के हाथ में रहती है तो लाल-पीले (ईस्ट बंगाल) की भूमिका क्या होगी, यही बड़ा सवाल है।
अब यह लीग EPL मॉडल पर चलेगी, जिसमें प्रशासनिक अधिकार क्लबों के पास होंगे। क्लबों ने जो दो शर्तें रखी थीं, उन्हें कल्याण चौबे के नेतृत्व वाली फेडरेशन ने थोड़े बदलाव के साथ मान लिया है। लीग आयोजन के प्रशासनिक बोर्ड में क्लब संघ के प्रतिनिधि ज्यादा होंगे, यानी लीग की कॉर्पोरेट स्वायत्तता क्लबों के पास रहेगी। हालांकि संविधान के खिलाफ होने के कारण क्लबों की स्थायी मालिकाना नीति को फेडरेशन ने नहीं माना। इसके बजाय 20 साल के लिए लीग के अधिकार दिए गए हैं।
AIFF के नए संविधान के अनुसार लीग में अब अवनमन (रिलिगेशन) भी होगा। हालांकि अवनमन में जाने वाले क्लबों को बड़ा आर्थिक नुकसान नहीं होगा। EPL के नियमों की तरह ISL का सेंट्रल फंड उन्हें ‘पैराशूट पॉलिसी’ के तहत 2 प्रतिशत की दर से मुआवजा देगा।
क्लब संघ ने हर साल एक करोड़ रुपये की ‘स्टैंडर्ड पार्टिसिपेशन फीस’ देने पर सहमति जताई है। यह राशि लीग के सेंट्रल ऑपरेशनल बजट में शामिल होगी। कॉर्पोरेट पार्टनर के लिए 30 से 40 प्रतिशत शेयर सुरक्षित रखे जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक ऐसे पार्टनर जुटाने की जिम्मेदारी क्लब संघ ने खुद संभाल ली है।
सभी क्लबों की आर्थिक स्थिति मोहनबागान जैसी मजबूत नहीं है। इसलिए लीग का बजट पहले के मुकाबले एक-तिहाई कर दिया गया है। FSDL के समय लीग का बजट करीब 200 करोड़ रुपये था जो अब घटकर 70 करोड़ हो गया है। टीवी प्रसारण पर FSDL का खर्च करीब 78 करोड़ था जिसे अब घटाकर 22 करोड़ कर दिया गया है। प्राइज मनी भी कम होगी।
सभी राज्य सरकारों से अनुरोध किया जा रहा है कि मैच आयोजन के लिए स्टेडियम और फ्लडलाइट का किराया कुछ कम किया जाए। भले ही मौजूदा सीजन में न हो लेकिन अगले सीजन से टीम बनाने के लिए सैलरी कैप घटाई जाएगी। अभी मोहनबागान जहां करीब 35 करोड़ रुपये खर्च करता है वहीं दिल्ली की टीम साढ़े सात करोड़ से ज्यादा खर्च नहीं कर सकती। इससे टीमों के बीच ताकत का अंतर पैदा होता है जो भविष्य में नहीं होगा।
29 दिसंबर को क्लब संघ की बैठक में अगर लीग शुरू करने को हरी झंडी मिल जाती है, तो इसकी जानकारी केंद्रीय खेल मंत्रालय को दी जाएगी। इसके बाद देश के सॉलिसिटर जनरल ISL के नए फॉर्मेट को मंजूरी दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन करेंगे। फेडरेशन अधिकारियों को उम्मीद है कि देश के फुटबॉल के हित में सुप्रीम कोर्ट इस फॉर्मेट को जरूर मंजूरी देगा।