भारतीय फुटबॉल के भविष्य को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। आने वाले सीजन में भारत में घरेलू फुटबॉल लीग आयोजित होगी या नहीं, इस पर अब तक संशय बना हुआ है। ISL और आई-लीग के कमर्शियल अधिकार किसे मिलेंगे, यह अभी तय नहीं हो पाया है। हालांकि भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) ने दो नए फॉर्मेट का प्रस्ताव सामने रखा है। इनमें कॉन्फ्रेंस आधारित लीग या सिंगल लेग फॉर्मेट में लीग आयोजित करने की बात कही गई है। आखिर ये फॉर्मेट क्या हैं?
कॉन्फ्रेंस-आधारित लीग में मैच कैसे होंगे?
14 टीमों को ईस्ट और वेस्ट जोन में बांटा जाएगा।
हर टीम केवल अपनी ही कॉन्फ्रेंस की टीमों के खिलाफ होम और अवे फॉर्मेट में मैच खेलेगी।
प्रत्येक कॉन्फ्रेंस में लीग चरण के दौरान 42-42 मैच खेले जाएंगे।
हर ग्रुप से चार-चार टीमें अगले चरण में पहुंचेंगी।
इसके बाद सिंगल-लेग चैंपियनशिप फॉर्मेट में मुकाबले होंगे, जहां से ISL चैंपियन तय किया जाएगा।
वहीं ग्रुप चरण में दोनों कॉन्फ्रेंस की आखिरी तीन-तीन टीमों को लेकर रेलिगेशन चरण के मैच आयोजित किए जाएंगे।
सभी मैच कुल दो वेन्यू पर खेले जाएंगे।
सिंगल-लेग फॉर्मेट में मैच कैसे होंगे?
इस फॉर्मेट में टीमों को किसी कॉन्फ्रेंस में विभाजित नहीं किया जाएगा।
होम-एवे की बजाय हर टीम एक ही लेग में मुकाबले खेलेगी।
इस स्थिति में कुल 91 मैच खेले जाएंगे।
हर टीम 6 से 7 मैच होम या अवे फॉर्मेट में खेलेगी, जिससे संतुलन बना रहेगा।
कोई प्ले ऑफ नहीं होगा। सीजन के अंत में केवल पॉइंट्स टेबल में स्थान के आधार पर ही ISL चैंपियन तय किया जाएगा।
मुख्य रूप से खर्च कम करने के उद्देश्य से AIFF ने यह प्रस्ताव रखा है। अब तक ISL को कोई कमर्शियल पार्टनर नहीं मिला है। इसलिए कम वेन्यू पर मैच आयोजित करके और कुल मैचों की संख्या घटाकर खर्च कम करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि फॉर्मेट सामने आने के बावजूद स्पॉन्सर, ब्रॉडकास्टर और कमर्शियल पार्टनर न मिलने के कारण ISL से जुड़ा संकट फिलहाल पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।