चालू सत्र की इंडियन सुपर लीग (ISL) का आयोजन वे खुद ही करेंगे यह फैसला ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) ने अपनी वार्षिक आम बैठक में लिया है। इसके लिए दो समितियां बनाई गई हैं। अब सवाल यह है कि देश की शीर्ष लीग शुरू करने के लिए जिस धन की आवश्यकता है, वह आएगा कहां से?
फेडरेशन ने 2026 के मई महीने तक के लिए जो अंतरिम बजट वार्षिक बैठक में पास किया है, उसमें ISL से न तो किसी आय का जिक्र है और न ही किसी खर्च का। इन पांच महीनों के लिए 50 करोड़ 48 लाख रुपये का जो बजट तय किया गया है, उसी हिसाब से चलने पर 31 मई तक फेडरेशन को 23 करोड़ 11 लाख रुपये का घाटा होगा। इस बजट में आई-लीग, दूसरी और तीसरी डिविजन आई-लीग, महिला लीग, राष्ट्रीय टीम का खर्च, फेडरेशन के कर्मचारियों का वेतन और नियमित कार्यालय संचालन का खर्च शामिल है। कानूनी मद में भी काफी बड़ी राशि खर्च हो रही है।
इतनी सारी चीजें शामिल होने के बावजूद जो शामिल नहीं है, वह है ISL । इस बारे में फेडरेशन के एक अधिकारी का कहना है कि ISL से जो पैसा आएगा, उसी से खर्च किया जाएगा। पिछले 11 वर्षों से ISL का आयोजन एफएसडीएल (FSDL) करती आ रही है। लीग के अधिकार बेचकर AIFF को सालाना लगभग 50 करोड़ रुपये मिलते थे। 2026 से वह आय बंद हो जाएगी तो फिर इस बार ISL की आय आएगी कहां से?
शनिवार को वार्षिक आम बैठक के बाद दोनों समितियों के सदस्य वर्चुअली बार-बार बैठक कर रहे हैं। वहां फेडरेशन की ओर से क्लबों से लगभग अनुरोध-विनती की जा रही है कि किसी तरह का अहं या जिद छोड़कर किसी भी तरह लीग शुरू की जाए। ISL कराने के लिए जिन 10 क्लबों ने मिलकर एक कंसोर्टियम बनाकर लीग चलाने का प्रस्ताव दिया था, उन क्लब अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने गठबंधन की शर्तों को ढीला करें और कम से कम इस सत्र के लिए धन आवंटित करें। यानी लीग चलाने के लिए पैसा क्लबों को ही देना होगा। सोमवार रात तक इस बारे में आठ क्लब अपनी सहमति जता चुके हैं।
सवाल यह है कि जो क्लब इस गठबंधन में शामिल नहीं होंगे, क्या उन्हें लीग से बाहर किया जा सकता है? अगर ऐसा किया गय तो वे स्वाभाविक रूप से नियमों के खिलाफ, उन्हें बाहर करने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।