नयी दिल्लीः कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है। लेकिन हालिया आंकड़े बता रहे हैं कि लखनऊ की समाजवादी पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूत करने का रास्ता कोलकाता से होकर गया है। चुनाव आयोग में जमा समाजवादी पार्टी की 2024–25 की दान (डोनेशन) रिपोर्ट सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अखिलेश यादव की पार्टी के फंड में आया एक बड़ा हिस्सा-करीब 32 प्रतिशत कोलकाता से आया है। और अधिक स्पष्ट रूप से कहें तो कोलकाता के एक ही परिवार से।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल समाजवादी पार्टी को कुल 93.47 लाख रुपये का चंदा मिला। इसमें से 30 लाख रुपये कोलकाता के एक दंपती सुदीपरंजन सेन और अदिति सेन ने दिए। ये ‘लागे टाका देबे गौरी सेन' वाले प्रसिद्ध सेन परिवार से नहीं हैं। सुदीप एक प्रतिष्ठित नज़रुल गीत कलाकार हैं और कोलकाता में ‘बसंती विद्या बीथी’ नामक एक संगीत संस्थान के संचालक हैं। सवाल यह है कि एक बंगाली कलाकार परिवार ने उत्तर प्रदेश की एक क्षेत्रीय पार्टी को इतनी बड़ी रकम क्यों दी?
इसका जवाब एक पुराने राजनीतिक संबंध में मिलता है, जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। तब 2013 में सुदीपरंजन सेन को उत्तर प्रदेश टूरिज़्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का चेयरमैन बनाया गया था। इतना ही नहीं,2014 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर रायगंज से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, हालांकि वे जीत नहीं सके।
यह भी पहली बार नहीं है जब सुदीपरंजन सेन समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े दाता बने हों। 2023–24 में भी उन्होंने अखिलेश की पार्टी को 25 लाख रुपये का चंदा दिया था, जो उस साल के कुल दान का 53 प्रतिशत था। इस साल उनके परिवार का योगदान बढ़कर 30 लाख रुपये हो गया है।
स्पष्ट है कि लखनऊ के यादव परिवार और कोलकाता के इस सेन परिवार के बीच की नज़दीकियां तब से लेकर अब तक बनी हुई हैं। लखनऊ की राजनीति में यह ‘बंगाल कनेक्शन’ अब चर्चा का केंद्र बन गया है।